समय पर सबको जाना होगा, पर किस प्रकार किसी के मरने पर दुःख की फीलिंग को कम किया जा सकता है?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 373
(आज से यह श्रृंखला नये रूप में प्रस्तुत की जा रही है!)
भारतवर्ष के 500 शीर्षस्थ शास्त्रज्ञ विद्वानों की सभा 'काशी विद्वत परिषत' द्वारा 14 जनवरी 1957 को 'पंचम मूल जगदगुरु' की उपाधि से विभूषित परमाचार्य जगदगुरु 1008 स्वामी श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन हम सभी कलिमलग्रसित दुःखी जीवों के लिये महौषधि के समान है। अत्यंत सरल, सुगम शैली में आचार्यश्री ने गूढ़तम वैदिक ज्ञान का सार हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है, वह निश्चय ही अद्वितीय तथा भगवत्प्रेमपिपासु व सर्व साधारण जनों के लिये अति उपयोगी है। आइये आज के अंक में प्रकाशित उनके दिव्य वचनों पर विचार करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
धीरे धीरे शिशु बने युवा कह बामा।
ऐसे ही माँगो सदा देंगी प्रेम श्यामा।।35।।
अर्थ ::: जैसे एक बालक धीरे धीरे ही युवा बनता है, ऐसे ही श्री किशोरी जी की शरण में जाकर उनसे सदा उनका दिव्य प्रेम माँगते रहो, अभ्यास करते करते जिस क्षण तुम्हारी याचना शत-प्रतिशत शरणागतियुक्त हो जायेगी, उसी क्षण किशोरी जी तुम्हें दिव्य प्रेम दे देंगी।
• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: 'श्यामा श्याम गीत' दोहा संख्या 35
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★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...भगवान की भक्ति जितनी बढ़ाएगा, उतनी ही दुखों की फीलिंग कम होगी। इस प्वाइन्ट को नोट करो सब लोग। प्रारब्ध काटा नहीं जा सकता। बेटे को मरना है, बाप को मरना है, पति को मरना है, वो मरेगा अपने टाइम पर। तुम भगवान की भक्ति बढ़ाओ तो उसके मरने के दुःख की फीलिंग उतनी ही लिमिट में कम होगी। बस, ये तुम्हारी ड्यूटी है, तुम इतना कर सकते हो। तुम उसको बचा नहीं सकते हो। जो मरेगा, मरेगा। धन समाप्त होना है, दिवालिया बनना है, बनेगा...
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी (भाग - 2), पृष्ठ संख्या 81
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