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 जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा 'रक्षाबन्धन' के महत्व पर प्रवचन; वास्तविक 'रक्षक' और 'रक्षाबन्धन' की परिभाषा!!
 शुभ रक्षाबन्धन 2021
Happy Raksha-Bandhan 2021

(भूमिका - आज रक्षाबन्धन का पावन पर्व है, अतः आप सभी नियमित सुधी पाठक समुदाय को अनंत अनंत शुभकामनायें. विगत एक वर्ष से 'धर्म-अध्यात्म' के इस स्तम्भ में जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा कलिमलग्रसित हम दुःख-संतप्त जीवों के कल्याण के लिये दिये गये दिव्य उपदेशों का, प्रवचनों एवं उनके रस-साहित्यों का पठन-चिन्तन करते आ रहे हैं। भविष्य में भी भगवत्कृपा के आश्रय में रहते हुये उनकी प्रेरणा से इस श्रृंखला को निरन्तर बनाये रखने का प्रयास किया जायेगा। इसके 374-वें अंक में आइये आज 'रक्षाबन्धन' के अवसर पर उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत इस उपदेश का चिन्तन करें कि वास्तविक 'रक्षाबन्धन' क्या है, वास्तविक 'रक्षक' आखिर कौन है..?)
....

"'आजु रक्षा बंधन गोविंद राधे,
रक्ष रक्ष रक्ष दोउ गलबहियाँ दे..'

'रक्षा करे हरि गुरु गोविंद राधे,
मायाधीन भैया रक्षा करे ना बता दे..'

रक्षा तो वो करे जो हमेशा साथ रहे. किस बेटे के साथ बाप हमेशा रहेगा? किस बीबी के साथ उसका पति हमेशा रहेगा? किस बहिन के साथ भाई हमेशा रहेगा? लेकिन भगवान् हमारा बाप, हमारा भाई, हमारा बेटा, ऐसा है जो सदा हमारे साथ रहता है. एक बटा सौ सेकंड को भी हमसे अलग नहीं जाता :

सयुजा सखाया समानं वृक्षम् परिषस्वजाते. (श्वेताश्वेतरोपनिषद 4-6)

समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोनिशया शोचति मुह्यमानः. (श्वेताश्वतरोपनिषद 4-7)

प्रतिक्षण,

एको देवः सर्वभूतेषु गूढ़: सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा. (श्वेताश्वतरोपनिषद 7-11)

ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्येशेर्जुन तिष्ठति. (गीता 18-61)

वो बैठा है वहाँ. आता जाता है? नहीं. जीव उसी में रहता है. 'य आत्मनि तिष्ठति' (वेद)

वेद कहता है, ये जीव परमात्मा में रहता है. देखो ! ये जो आप लोगों के यहाँ ये लाइट हो रही है, ये पंखें चल रहे हैं. ये क्या है? इलैक्ट्रिसिटी, बिजली. ये बिजली जो है, पॉवर हाउस से लगी है न. हाँ ! आती जाती है. न न न. आती जाती होगी तो जलती बुझती रहेगी. उससे लगी है तब तक लाइट है. लगना बंद हो गया पॉवर हाउस से, बस अंधेरा हो गया. 

चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधति कामान्.
(श्वेताश्वतरोपनिषद 6-13)

वेद कहता है - ये चेतन जो है जीव, इसमें चेतना देता रहता है प्रतिक्षण. तब ये हम चेतन हैं. वो अगर चेतना देना बंद करे तो हम जीरो बटे सौ हो जायें. जैसे ये तकिया ऐसे हो जायें (दिखाते हुए). तो वो (भगवान्) हमारी रक्षा करता है. मां के पेट में हम उल्टे टंगे रहे, उल्टे. अगर उसी तरह उल्टा आपको कोई टाँग दे, दो हफ्ते को उल्टा, पैर ऊपर सिर नीचे, तो पहलवान भी जीरो बटे सौ हो जाय. इतना कोमल हमारा शरीर था माँ के पेट में, उल्टे टंगे रहे, लेकिन वो रक्षा करता रहा. रक्षा किया उसने पैदा होते ही, उसने फिर रक्षा किया, माँ के स्तन में दूध बना दिया, फिर संसार बना दिया. फिर रक्षा किया, खाने-पीने का सामान और हर क्षण हमारे साथ चेतना दे रहा है, हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब का फल दे रहा है. वर्तमान काल के कर्मों को नोट करके जमा कर रहा है. इतनी रक्षा करता है वो (भगवान्)......

...तो रक्षाबंधन के दिन हरि-गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिए...."

--- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज

★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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