इतिहास में आज- 4 मई - भारत की पहली महिला न्यायाधीश अन्ना चांडी का जन्म हुआ
भारत की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चांडी का जन्म आज ही के दिन हुआ था। (जन्म 4 मई 1905 -निधन 20 जुलाई 1966) । वे 1937 में एक जिला अदालत में भारत में पहली महिला न्यायाधीश बनीं। वे भारत में पहली महिला न्यायाधीश तो थी ही, शायद दुनिया में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद (1959) तक पहुंचने वाली वे दूसरी महिला थीं।
न्यायमूर्ति चांडी का जन्म 4 मई 1905 को भारत के तत्कालीन त्रावणकोर राज्य (अब केरल) में एक मलयाली सीरियाई ईसाई माता पिता के यहां हुआ था। उन्होंने 1926 में लॉ में पोस्ट-ग्रैजुएट डिग्री ली थी। अन्ना चांडी अपने राज्य की ऐसी पहली महिला थीं जिन्होंने लॉ की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर के तौर पर कोर्ट प्रैक्टिस शुरू कर दी। साल 1937 में त्रावणकोर के दीवान सर सीपी रामास्वामी अय्यर ने अन्ना चांडी को मुंसिफ के तौर पर अपॉइंट किया जिसके बाद वह भारत की पहली महिला जज बन गईं। 1948 में अन्ना चांडी प्रमोशन पाकर जिला जज बन गईं। चांडी भारत के किसी हाई कोर्ट की पहली महिला जज भी बनीं। साल 1959 में न्यायमूर्ति अन्ना चांडी को केरल हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। अन्ना ने 1967 तक हाई कोर्ट के जज के तौर पर काम किया।
हाई कोर्ट से रिटायरमेंट के बाद न्यायमूर्ति अन्ना चांडी को लॉ कमीशन ऑफ इंडिया में नियुक्त कर दिया गया। न्यायमूर्ति चांडी को महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने श्रीमती नाम से एक मैगजीन भी निकाली थी जिसमें उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने अपनी आत्मकथा नाम से अपनी ऑटोबायॉग्राफी भी लिखी थी। साल 1996 में केरल में 91 साल की उम्र में जस्टिस अन्ना चाण्डी का निधन हो गया
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