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 इस मछली में होता है जहर फिर भी बनता है स्वादिष्ट व्यंजन फूगू
पफर मछली एक खास तरह की मछली होती है जिनमें न्यूरोटॉक्सिन नाम का ड्रग पाया जाता है।  यूं तो ये मछली जहरीली मानी जाती है , लेकिन डॉल्फिन पर इसका जहर नुकसान की बजाय नशा चढ़ा देता है।   युवा डॉल्फिन पफर फिश को इसके नशीले व्यवहार के चलते ही पसंद करती हैं।  पफर फिश पानी में तो किसी सामान्य मछली की ही तरह तैरती है लेकिन जैसे ही उसे पानी से बाहर निकाला जाता है, उसका आकार बदल जाता है और वो गेंद की तरह गोल हो जाती है।
 मजेदार बात ये है कि जैसे ही इसे दोबारा पानी में डाला जाता है, ये   किसी भी सामान्य मछली की तरह तैरने लगती है। गोलमटोल सी दिखने वाली पफर फिश आसानी से पहचानी जा सकती है।  खतरा महसूस होने पर ये अपने पेट को कुछ ही सेकेंड में फुलाकर बड़ा कर लेती है।  हिंद, प्रशांत और अटलांटिक महासागरों के कुनकुने पानी में पफर फिश की 120 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं।  जानकारों के अनुसार, इनकी सिर्फ 30 प्रतिशत प्रजातियां ताजे पानी में रहती है।  
पफर की कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं जो प्रजनन के दौरान खारे या ताजे पानी में आकर रहने लगती हैं।  हालांकि पहले पफर फिश की आबादी स्थिर थी लेकिन आज महासागरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ चुका है, साथ ही इनके प्राकृतिक आवास घटते जा रहे हैं जिससे इनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।  सामान्य रूप से इनकी उम्र दस साल होती है। इन मछलियां की लंबाई एक इंच से लेकर दो फुट तक होती है।  एक इंच लंबी पफर फिश को  पिग्मी  कहते हैं और ज्यादा बड़ी को  जायंट पफर  कहते हैं।  सभी पफर फिश में सामान्य बात यह है कि इनमें अपने भीतर ढेर सारा पानी रखने की क्षमता होती है।  कभी-कभी ये पानी की जगह ज्यादा मात्रा में हवा भी खींच लेती हैं।   इससे इनके शरीर का आकार बढ़ जाता है और ये देखने में फुटबॉल जैसा प्रतीत होती है ।  वैज्ञानिक मानते हैं कि पफर फिश आत्मरक्षा के लिए अपने शरीर को फुलाकर बड़ा कर लेती हैं।  वे अच्छी तैराक नहीं होतीं।  अचानक खतरा सामने हो तो ये भाग नहीं पातीं और शिकारियों को सिर्फ डराने के लिए ऐसा करती हैं।  पफर की लगभग सभी प्रजातियों के शरीर में जहर होता है।  इसे टेट्रॉडोटोक्सिन कहते हैं।  इनका जहर सायनाइड के मुकाबले 1200 गुना तक घातक हो सकता है।  एक पफर फिश के भीतर इतना जहर होता है कि वह 30 वयस्क लोगों को मार सकता है।  जहर इनके हर अंग में नहीं पाया जाता।  जापान में कुछ संस्कृतियां ऐसी हैं जहां पफर फिश से फुगू नामक व्यंजन बनाया जाता है।  जापानी लोग फुगू को स्वादिष्ट बनाने के तरीके जानते हैं।  केवल प्रशिक्षित शेफ ही पफर फिश को साफ करते हैं , क्योंकि उन्हें ही पता होता है कि इन्हें किस तरह स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। 
कहते हैं कि पफर फिश को काटने में थोड़ी सी गलती हो जाए तो खाने वाले की मौत भी हो सकती है। शार्क मछलियां ही एकमात्र समुद्री जीव हैं जिन पर पफर फिश के जहर का कोई असर नहीं होता।  इसलिए शार्क पफर फिश को बिना किसी डर के खा लेती हैं।  कुछ पफर ऐसी होती हैं जो देखने में काफी चमकीले रंग की होती हैं।  इनका चमकीलापन इनके शरीर के भीतर मौजूद रंग निर्माण और जहर पैदा करने की मात्रा पर निर्भर है।  ज्यादा चमकीली पफर के भीतर ज्यादा मात्रा में जहर होता है। 
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