क्या है बीटिंग द रिट्रीट
नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हर साल बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम से होता है। गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न की शुरुआत जहां परेड से होती है वहीं समापन बीटिंग द रिट्रीट के बाद होता है। इसेे गणतंत्र दिवस के ठीक तीन बाद आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। यह सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। हर साल 29 जनवरी की शाम यानी गणतंत्र के तीसरे दिन बीटिंग रिट्रीट का आयोजन होता है।
यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन रायसीना हिल्स में किया जाता है, जिसके मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं। यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है। इसमें तीन सेनाओं के बैंड देश के राष्ट्रपति के सामने बैंड बजाते हैं। इस दौरान ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं। इसके अलावा ड्रमर्स की ओर से एबाइडिड विद मी (यह महात्मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों की ओर से चाइम्स बजाई जाती हैं, जो काफी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है।
यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन और संसद के पास विजय चौक पर आयोजित किया जाता है। बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते हैं। शाम 6 बजे तीनों भारतीय सेनाओं के बैंड धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है। इसके साथ ही राष्ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है।
1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को अब तक दो बार रद्द किया गया था। 27 जनवरी 2009 को भारत के 8वें राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने के कारण बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। इससे पहले 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।
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