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 सोने से पहले मोबाइल, टीवी, लैपटॉप पर वक्‍त बिताना नींद और सेहत दोनों के लिए खतरा : स्‍टडी
जनरल ऑफ स्‍लीप रिसर्च में एक स्‍टडी छपी है, जो कह रही है कि यदि सोने से पहले आप काफी देर तक टीवी देखते हैं, मोबाइल स्‍क्रीन देखते हैं, लैपटॉप, आईपैड या किसी भी अन्‍य प्रकार के डिजिटल स्‍क्रीन के सामने वक्‍त बिताते हैं तो आपकी नींद की क्‍वालिटी अच्‍छी नहीं होगी.
हालांकि डिजिटल गैजेट्स आपकी नींद और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं, यह बताने वाली यह पहली स्‍टडी नहीं है. इस तरह के और भी लंबे सैंपल साइज वाले और ज्‍यादा गंभीरता से डिजिटल कंजम्‍पशन के सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल करते और बहुत से अध्‍ययन पहले हो चुके हैं. ये स्‍टडी हमें वही बात बता रही है, जो शायद हम अपने अनुभव से भी पहले से जानते हैं.
इस स्‍टडी में शामिल लोगों को एक तरह के सेल्‍फ इक्‍जामिनेशन की प्रक्रिया में डालनेकी कोशिश की गई. प्रत्‍येक व्‍यक्ति को एक स्‍लीप जनरल मेंटेन करना था और सोने से पहले उसने कितना वक्‍त किस डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर और क्‍या देखते हुए बिताया, इस बात की पूरी डीटेल नोट करनी थी.
शोधकर्ताओं ने उनके नींद के पैटर्न, नींद की अवधि आदि को वैज्ञानिक यंत्रों के जरिए मापने की कोशिश की. उन्‍होंने पाया कि जिस भी रात सोने से पहले उन्‍होंने ज्‍यादा वक्‍त डिजिटल स्‍क्रीन के सामने बिताया था, उस रात नींद की क्‍वालिटी, हार्ट रेट डिस्‍टर्ब रहीं. इसके ठीक उलट डिजिटल स्‍क्रीन पर वक्‍त न बिताने वाले लोगों की नींद की क्‍वालिटी ज्‍यादा बेहतर पाई गई.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कोई ऐसा अध्‍ययन नहीं है, जो आपको वैज्ञानिक यंत्रों से ही मापने की जरूरत हो. आप खुद भी अपने ऊपर यह प्रयोग करके देख सकते हैं. एक हफ्ते तक सोने से पहले देर रात तक टीवी देखना, मोबाइल पर वक्‍त बिताना या किसी भी तरह के डिजिटल स्‍क्रीन के सामने बैठना बंद कर दें. उसके बजाय किताबें पढ़ें, बातें करें या कुछ भी ऐसी गतिविधि में शामिल हों, जो डिजिटल नहीं है.
आप खुद अपनी नींद की क्‍वालिटी में फर्क पाएंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि डिजिटल स्‍क्रीन से एक खास तरह की रेज निकलती है, जो मस्तिष्‍क की तंत्रिकाओं को उद्वेलित करने का काम करती है. मस्तिष्‍क शांत नहीं रहता. साथ ही हमारी आंखों पर भी उसका नकारात्‍मक असर पड़ता है. यही कारण है कि डिजिटल स्‍क्रीन पर ज्‍यादा समय बिताने के कारण हमारी नींद प्रभावित होती है क्‍योंकि मस्तिष्‍क की तंत्रिकाएं डिस्‍टर्ब हो जाती हैं.

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