क्या होते हैं चुनावी बॉन्ड, देश में कब और क्यों हुए पेश....
चुनावी बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र होता है जिसे नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक किसी भी शाखा से खरीद सकती है. ये बॉन्ड नागरिक या कॉर्पोरेट अपनी पसंद के हिसाब से किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति या फिर पार्टी इन बॉन्ड को डिजिटल फॉर्म में या फिर चेक के रूप में खरीद सकते हैं. ये बॉन्ड बैंक नोटों के समान होते हैं, जो मांग पर वाहक को देने होते हैं.
कब हुई थी शुरुआत
चुनावी बॉन्ड की पेशकश साल 2017 में फाइनेंशियल बिल के साथ की गई थी. 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA गवर्नमेंट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम 2018 को अधिसूचित किया था.
कैसे काम करते हैं चुनावी बॉन्ड (Electoral bond)
इलेक्टोरल बॉन्ड यूज करना काफी आसान है. ये बॉन्ड 1,000 रुपए के मल्टीपल में पेश किए जाते हैं जैसे कि 1,000, ₹10,000, ₹100,000 और ₹1 करोड़ की रेंज में हो सकते हैं. ये आपको SBI की कुछ शाखाओं पर आपको मिल जाते हैं. कोई भी डोनर जिनका KYC- COMPLIANT अकाउंट हो इस तरह के बॉन्ड को खरीद सकते हैं. और बाद में इन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट किया जा सकता है. इसके बाद रिसीवर इसे कैश में कन्वर्ट करवा सकता है. इसे कैश कराने के लिए पार्टी के वैरीफाइड अकाउंट का यूज किया जाता है. इलेक्टोरल बॉन्ड भी सिर्फ 15 दिनों के लिए वैलिड रहते हैं.
कब खरीदे जाते हैं ये बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड हर तिमाही के पहले 10 दिन खरीदे जा सकते हैं. अप्रैल, जनवरी, जुलाई और अक्टूबर के शुरुआती 10 दिन सरकार द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के समय तय किए गए हैं. लोक सभा चुनाव के समय अलग से 30 दिन का समय भी सरकार तय कर सकती है.
नियम और शर्तें
कोई भी पार्टी जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (1951 का 43) की धारा 29A के तहत पंजीकृत है और हाल के आम चुनावों या विधानसभा चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट हासिल किया है, चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने के लिए पात्र है. पार्टी को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा एक सत्यापित खाता आवंटित किया जाएगा और चुनावी बांड लेनदेन केवल इस खाते के माध्यम से किया जा सकता है.
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