12-13 साल के बच्चों को शतरंज को कॅरिअर बनाते हुए देखकर चिंता होती है -आनंद
नई दिल्ली। पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) से अपने केद्रों में उभरते हुए खिलाडिय़ों के लिये विशेष शतरंज कम्प्यूटर मुहैया कराने का अनुरोध किया और साथ ही 12 -13 साल की उम्र के बच्चों के शतरंज को कॅरिअर बनाने की इच्छा पर चिंता व्यक्त की।
दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी आनंद ने यह अनुरोध तब किया जब वह जर्मनी से एक विशेष आनलाइन सत्र में साइ के नव नियुक्त सहायक निदेशकों को संबोधित कर रहे थे। वह इस समय कोविड-19 के चलते यात्रा पांबदियों के कारण जर्मनी में हैं। आनंद ने कहा, साइ के पास ट्रेनिंग के लिये सुविधायें और ढांचा पहले ही हे। अगर साइ इन सुविधाओं में शतरंज के लिये विशेष कम्प्यूटर मुहैया करा सकता है तो इससे इन उभरते हुए युवा खिलाडिय़ों को काफी मदद मिल जायेगी क्योंकि ज्यादातर खिलाडिय़ों के पास ये सुविधा नहीं है। अठारह वर्ष की उम्र में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने आनंद ने युवा शतरंज खिलाडिय़ों और उनके माता-पिता को सतर्क रहने की बात की भी की। भारत में कई युवा शतरंज खिलाड़ी जैसे आर प्रागनानंधा भी है जो केवल 14 साल के हैं और चौथे युवा ग्रैंडमास्टर हैं। आनंद ने कहा, बच्चों को 18 साल की उम्र तक शतरंज में करियर बनाने का फैसला नहीं करना चाहिए, जब तक वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर लेते। शतरंज में आपको पेशेवर नहीं बनना होता। मुझे चिंता होती है जब 12-13 साल के बच्चे इसमें अपना शतरंज कॅरिअर बनाना चाहते हैं।
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