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श्रीसंत ने उतार-चढ़ाव भरे कॅरियर को अलविदा कहा
नयी दिल्ली। कपिल देव के बाद के युग के सर्वश्रेष्ठ स्विंग गेंदबाजों में से एक और भारत की विश्व चैंपियन टीम का हिस्सा रहे तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने बुधवार को घरेलू क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया जिससे उनके उतार-चढ़ाव भरे कॅरियर का अंत हुआ। श्रीलंका के खिलाफ नागपुर में 25 अक्टूबर 2006 में एकदिवसीय मुकाबले के साथ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाले श्रीसंत महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में 2007 में पहला टी20 विश्व कप और 2011 में एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। 
श्रीसंत ने भारत की ओर से 27 टेस्ट, 53 एकदिवसीय और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय में क्रमश: 87, 75 और सात विकेट चटकाए। दाएं हाथ का यह 39 वर्षीय तेज गेंदबाज पिछले महीने मेघालय के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले में केरल की ओर से खेलता दिखा था। अपनी टीम की पारी और 166 रन की जीत के दौरान श्रीसंत ने दो विकेट चटकाए थे। कई ट्वीट करके संन्यास की घोषणा करते हुए श्रीसंत ने कहा कि उन्होंने अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों के लिए अपने 25 साल के करियर का अंत करने का फैसला किया है। केरल में जन्में इस तेज गेंदबाज ने लिखा, ''अपने परिवार, टीम के साथियों और भारत के लोगों और खेल को प्यार करने वाले सभी का प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात रही। काफी दुख लेकिन बिना किसी मलाल के मैं कहा रहा हूं कि मैं भारतीय घरेलू क्रिकेट (प्रथम श्रेणी और सभी प्रारूप) से संन्यास ले रहा हूं। '' उन्होंने कहा, ''अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों के लिए मैंने अपना प्रथम श्रेणी करियर खत्म करने का फैसला किया है। यह मेरा अकेले का फैसला है और हालांकि मुझे पता है कि इससे मुझे खुशी नहीं मिलेगी, लेकिन जीवन में इस समय यह सही और सम्मानित फैसला है। मैंने प्रत्येक लम्हे का लुत्फ उठाया।'' श्रीसंत ने लिखा, ''आज का दिन मेरे लिए काफी मुश्किल है लेकिन यह बीती चीजों को देखने और आभार व्यक्त करने का भी दिन है। ईसीसी, एर्नाकुलम जिले, विभिन्न लीग और टूर्नामेंट टीम, केरल राज्य क्रिकेट संघ, बीसीसीआई, वारविकशर काउंटी क्रिकेट टीम, इंडियन एयरलाइंस क्रिकेट टीम, बीपीसीएल और आईसीसी के लिए खेला।'' श्रीसंत ने अपने कॅरिअर के बेहतरीन लम्हों को याद किया।
 श्रीसंत ने  कहा, ''मेरी सबसे यादगार गेंद 2006 के वेस्टइंडीज दौरे पर डेरेन गंगा को आउटस्विंग होती यॉर्कर थी। इनस्विंग यॉर्कर तो सभी डालते हैं, आउटस्विंग होती यॉर्कर वसीम भाई और वकार भाई डालते थे। इसके बाद जाक कैलिस की गेंद आई।'' भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने पर श्रीसंत ने कहा, ''चला जाता हूं किस की धुन में, धड़कते दिल के तराने लिए।'' इस तेज गेंदबाज का अंतरराष्ट्रीय कॅरियर छह साल से कम चला लेकिन उनके करियर में कई अच्छे बुरे पल आए जो याद रखे जाएंगे। यह 2010 में डरबन टेस्ट के दौरान दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज कैलिस को को आउट करने वाली अंदर आती हुई बाउंसर हो या 2006-07 के दक्षिण अफ्रीका के दौरे के दौरान आंद्रे नेल के साथ बहस के बाद इस तेज गेंदबाज पर छक्का जडऩे के बाद मनाया गया जश्न हो, श्रीसंत के करियर में कई यादगार लम्हे रहे। दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अपने करियर का सबसे यादगार कैच 2007 में जोहानिसबर्ग में टी20 विश्व कप फाइनल में मिसबाह उल हक का लपका जिससे भारत ने अपना एकमात्र टी20 विश्व कप खिताब जीता। लेकिन 2013 में उनके करियर ने सबसे बुरा पल देखा जब इस तुनकमिजाज तेज गेंदबाज को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में कथित तौर पर शामिल होने के लिए आजीवन प्रतिबंधित किया गया। उन्होंने एक बार कहा था कि वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे बड़े होते हुए जब 'गूगल' पर उनका नाम डालें जो उन्हें कुछ ऐसा पता चले जिसे करने से वह अब तक इनकार करते आए हैं। श्रीसंत को आईपीएल मैच के बाद हरभजन सिंह द्वारा जड़ा थप्पड़ हो या मैच फिक्सिंग के लिए उनका जेल जाना, इन चीजों से उनके आलोचकों को लगता है कि शायद उन्होंने कुछ गलत किया होगा। श्रीसंत को अपना नाम मैच फिक्सिंग प्रकरण से हटवाने में सात साल लग गए और उन्होंने पिछले साल ही क्रिकेट के मैदान पर वापसी की। पिछले दशक की शुरुआत में श्रीसंत ने सबसे पहले चैलेंजर ट्रॉफी से सुर्खियां बटोरी। उन्होंने अपने तूफानी स्पैल के दौरान महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को पगबाधा करने सुर्खियां बटोरी। श्रीसंत की 140 किमी प्रतिघंटा से अधिक की रफ्तार की गेंद जब सीम पर गिरती थी तो हमेशा संभावना रहती थी कि गेंद कुछ करेगी। यह वह युग था जब श्रीसंत के अलावा दो अन्य तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल और आरपी सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आगाज कर रहे थे। प्रदर्शन में निरंतरता की कमी और बेवजह की आक्रामकता ने श्रीसंत को नुकसान पहुंचाया लेकिन बीच में उनका शानदार खेल भी देखने को मिला। श्रीसंत ने दक्षिण अफ्रीका में भारत की पहली टेस्ट जीत में भी अहम भूमिका निभाई। यह दिसंबर 2006 में जोहानिसबर्ग टेस्ट की बात है जब श्रीसंत ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 40 रन देकर पांच विकेट चटकाए और भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 84 रन पर समेटकर पहला टेस्ट 123 रन से जीता। पूरा देश हालांकि उनकी जिस गेंद को याद रखेगा वह 2010 में डरबन में आई जहां उन्होंने कैलिस को बाउंसर पर आउट किया। केरल का यह क्रिकेटर इंडियन प्रीमियर लीग में 2008 में धोनी की चेन्नई सुपरकिंग्स की ओर से पदार्पण करने के बाद पंजाब किंग्स, कोच्चि टस्कर्स केरल और राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेला। अधिकतर लोग श्रीसंत को गलत कारणों से याद करेंगे लेकिन एक पीढ़ी के लिए रवि शास्त्री के इन शब्दों ने उन्हें अमर कर दिया, ''श्रीसंत ने कैच लपका, भारत ने विश्व कप जीत लिया।

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