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पिता सह कोच ने कहा, चेतेश्वर ने बेहतर मैच अभ्यास से लय वापस हासिल की
नयी दिल्ली. चेतेश्वर पुजारा के पिता और कोच अरविंद पुजारा का मानना है कि यह भारतीय टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज नियमित मैच अभ्यास मिल पाने के कारण मौजूदा काउंटी चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। अरविंद ने कहा कि चेतेश्वर इससे पूर्व कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों के कारण नियमित मैच अभ्यास नहीं कर पा रहा था। भारत के लिए 95 टेस्ट खेलने वाले अनुभवी चेतेश्वर को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उसकी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला गंवाने के बाद अजिंक्य रहाणे के साथ भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया था। भारत के मध्यक्रम का अहम हिस्सा रहे पुजारा पिछले तीन सत्र में अपने प्रदर्शन में निरंतरता लाने में नाकाम रहे और इस दौरान उनका औसत 30 से भी कम रहा जिसके कारण चयनकर्ताओं ने श्रीलंका के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के लिए उन्हें टेस्ट टीम में जगह नहीं दी। ससेक्स के लिए मौजूदा सत्र में तीन मैच में दो दोहरे शतक और एक शतक के साथ पुजारा ने जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले एकमात्र टेस्ट के लिए भारतीय टीम में वापसी का दावा पेश किया है। अब तक चेतेश्वर के एकमात्र निजी कोच रहे अरविंद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पर्याप्त मैच खेलने का मौका नहीं मिलना पिछले तीन सत्र में उसके प्रदर्शन में निरंतरता नहीं होने का बड़ा कारण था।'' महामारी के कारण रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं हो सका था और सिर्फ एक प्रारूप में खेलने वाले चेतेश्वर बिना किसी मैच अभ्यास के टेस्ट श्रृंखलाओं में खेल रहे थे क्योंकि पर्याप्त अभ्यास मुकाबले भी नहीं थे। इसके अलावा पृथकवास और सीमित ओवरों के मुकाबलों के कारण कई बार दो टेस्ट श्रृंखलाओं के बीच लंबा अंतराल था। अरविंद ने कहा, ‘‘जब आप आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ खेलते हैं तो आपको अपने खेल के शीर्ष पर होना होता है क्योंकि वे आपको ढीली गेंद नहीं फेंकने वाले जो आपको घरेलू स्तर पर मिल सकती हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘बड़े मुकाबलों की तैयारी के लिए उसे घरेलू स्तर पर भी पर्याप्त मैच खेलने के लिए नहीं मिले। मुझे लगता है कि इससे शीर्ष स्तर पर उसकी निरंतरता पर असर पड़ा।'' उन्होंने कहा, ‘‘अब उसे नियमित तौर पर खेलने को मिल रहा है और आप उसके खेल में एक बार फिर निरंतरता देख सकते हैं।'' इस साल दो साल के अंतराल के बाद रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट की वापसी हुई और 34 साल के पुजारा को तीन मुकाबले खेलने को मिले। सौराष्ट्र के नॉकआउट के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहने के बाद पुजारा काउंटी सत्र में हिस्सा लेने के लिए ब्रिटेन गए। पिछले दो साल में रक्षात्मक होकर खेलने के बावजूद विकेट गंवाने के लिए चेतेश्वर की तकनीक को लेकर सवाल उठे लेकिन अपने बेटे के खेल के तकनीकी पहलू पर बात किए बिना उनके पिता ने कहा कि अगर कोई पर्याप्त संख्या में मैच नहीं खेलता है तो उसकी मैदान पर लंबे समय तक एकाग्र रहने की क्षमता प्रभावित होती है। अरविंद ने कहा कि भारतीय टीम से बाहर होने के बाद चेतेश्वर निराश थे लेकिन इस झटके ने उनमें रनों की भूख बढ़ा दी। उन्होंने कहा, ‘‘चयन तो चयनकर्ताओं के हाथ में होता है। मैंने उसे कहा कि तुम्हें कड़ी मेहनत जारी रखने की जरूरत है, रोजाना कड़ा प्रयास जारी रखो और नतीजे मिलेंगे।'' कुछ महीनों में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले एकमात्र टेस्ट के लिए चेतेश्वर के चयन पर अरविंद ने कहा, ‘‘यह फैसला चयनकर्ताओं को करना है। मुझे लगता है विदेशी परिस्थितियों में आपको मुश्किल हालात से निपटने और युवाओं के मार्गदर्शन के लिए अपने अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत होती है। उसे सिर्फ रन बनाते रहना होगा।

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