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 मेरा लक्ष्य अगले साल शीर्ष 20 में जगह बनाना: सतीश कुमार
 नयी दिल्ली।  बैडमिंटन के प्रति अपने जुनून की खोज करने से पहले सतीश कुमार करुणाकरन को बचपन में तैराकी करते हुए पूल में समय बिताना पसंद था। सतीश को 11 साल की उम्र के बाद अपने रिश्ते के भाई अरुण कुमार को खेलते देखकर बैडमिंटन से प्यार हो गया। धीरे-धीरे यह एक जुनून बन गया और तीन साल के भीतर वह इसे गंभीरता से लेने लगे। कोच अजीत विजेटिलेक ने उनकी प्रतिभा को पहचानने और कौशल को निखारने का काम किया तथा रविवार को ओडिशा मास्टर्स के रूप में अपना पहला बीडब्ल्यूएफ सुपर 100 खिताब जीतने के बाद सतीश ने अपनी सफलता में उनकी भूमिका को स्वीकार किया।
सतीश ने कहा, ‘‘मैं एक तैराक था और मैं इसका लुत्फ उठाता था। मैं 11 साल की उम्र तक अच्छा कर रहा था। मेरा रिश्ते का भाई एक बैडमिंटन खिलाड़ी है और मैं उसे खेलते हुए देखता था। मुझे यह पसंद आने लगा और इसलिए मैंने बैडमिंटन की ओर रुख किया।'' उन्होंने कहा, ‘‘14 साल की उम्र में मैंने पेशेवर रूप से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। मैंने कोयंबटूर में वेंकटेश सर के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग शुरू की, फिर मैं कुछ समय के लिए मलेशिया गया और अब मैं अजीत सर के साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं।'' सतीश ने कहा ‘‘पिछले तीन साल से मैं बेंगलुरू में रह रहा हूं। अजीत सर कोयंबटूर में थे। उनके बेंगलुरू जाने पर मैं भी उनके साथ चला गया। मैं बेंगलुरू में अजीत विजेटिलेक स्कूल ऑफ बैडमिंटन में प्रशिक्षण ले रहा हूं।'' एमबीए की पढ़ाई कर रहे सतीश ने कहा, ‘‘मुझे उनसे ट्रेनिंग लेने में बहुत सहज महसूस हुआ। उनके पास एक बहुत अच्छी टीम है। मैं करीब 10 वर्षों से उनके साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं।'' अपना पहला बीडब्ल्यूएफ खिताब जीतने के बाद दुनिया के 61वें नंबर के खिलाड़ी सतीश अपनी रैंकिंग में सुधार करना चाहते हैं और उन्होंने 2024 के अंत तक शीर्ष 20 में पहुंचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा इस साल के अंत तक शीर्ष 50 में पहुंचने का लक्ष्य था और मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर सकता हूं। मैं शीर्ष 10 में पहुंचने का लक्ष्य बना रहा हूं लेकिन शीर्ष 20 में पहुंचना एक अनिवार्य लक्ष्य है, मुझे इसे अगले साल तक हासिल करना है।'' ओडिशा मास्टर्स बिना ब्रेक के सतीश का लगातार 11वां टूर्नामेंट था। वह खिताब जीतकर खुश थे लेकिन लखनऊ में सैयद मोदी इंटरनेशनल में दूसरे दौर के मैच के दौरान बुरी तरह गिरने के बाद चीजें थोड़ी निराशाजनक लग रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अंतिम तीन टूर्नामेंटों के लिए अच्छी तरह से तैयार था क्योंकि यह भारत में हो रहे थे, मैं कम से कम एक खिताब जीतना चाहता था। मैं सैयद मोदी इंटरनेशनल में भी अच्छा खेल रहा था लेकिन एक मैच के दौरान मैं गिर गया और मेरी अंगुलियों में सूजन आ गई इसलिए मैं रैकेट नहीं पकड़ पा रहा था।'' सतीश ने कहा, ‘‘गुवाहाटी में मेरी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सका। मैं उम्मीद के मुताबिक स्तर पर नहीं था, दर्द था और मैं आश्वस्त नहीं था। मैंने एक्स-रे कराया और फिर मैंने रिहैबिलिटेशन किया। इससे मुझे इस टूर्नामेंट में बेहतर महसूस हुआ। आज मैं थोड़ा तनाव में था क्योंकि यह मेरा पहला सुपर 100 फाइनल था और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पा रहा था।''  

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