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पेरिस ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद जूडोका तूलिका मान की नजरें पदक पर
 नयी दिल्ली.। तूलिका मान ओलंपिक में जगह बनाने को लेकर सुनिश्चित नहीं थी लेकिन अब पेरिस खेलों के लिए क्वालीफाई करने के बाद इस भारतीय जूडो खिलाड़ी को पदक जीतने की उम्मीद है और उन्होंने कम से कम कांस्य पदक के प्ले ऑफ में जगह बनाने को लक्ष्य बनाया है। राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता 25 साल की तूलिका ने मंगलवार को 78 किग्रा से अधिक वर्ग में पेरिस ओलंपिक के लिए महाद्वीपीय कोटा हासिल किया। तूलिका ने साइ मीडिया से कहा, ‘‘जूडो हमेशा से ही हैरान करने वाली चीजों से भरा रहा है और कोई नहीं जानता कि कब क्या हो जाए। इसलिए कोई नहीं जानता कि उस दिन क्या होगा। देखिए कैसे मैंने पेरिस ओलंपिक में जगह बनाई।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अपनी ट्रेनिंग को देखते हुए मुझे उम्मीद है कि अगर मैं फाइनल में जगह नहीं भी बना पाई तो कम से कम कांस्य पदक के मुकाबले में पहुंचूंगी। हम स्वर्ण पदक के लिए ट्रेनिंग कर रहे हैं।'' क्वालीफाइंग चक्र 22 जून 2022 से 23 जून 2024 था और 2022 में चोट लगने के बाद तूलिका ओलंपिक में क्वालीफाई करने को लेकर आश्वस्त नहीं थी। लेकिन पिछले महीने अबु धाबी में विश्व चैंपियनशिप के राउंड ऑफ 32 मुकाबले में कनाडा की पोर्तुओंदो इसासी के खिलाफ जीत ने उनकी ओलंपिक रैंकिंग में सुधार किया। ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रही भारत की नौवीं महिला जूडो खिलाड़ी तूलिका ने कहा, ‘‘यह यात्रा रोमांचक रही है। मेरे कोच (यशपाल सोलंकी) ने कार्यक्रमों का एक कैलेंडर तैयार किया था लेकिन ओलंपिक उसमें शामिल नहीं था।'' हालांकि पिछले साल हांगझोउ में एशियाई खेलों में पांचवें स्थान पर रहने और इस साल अप्रैल में हांगकांग में एशियाई चैंपियनशिप ने उन्हें महत्वपूर्ण अंक हासिल करने में मदद की। दिल्ली की यह लड़की 1345 अंकों के साथ 36वें स्थान पर रही।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एशियाई खेल और एशियाई चैंपियनशिप दोनों में तीन-तीन मुकाबले जीते। हांगकांग में मुझे सबसे पहले लगा कि मैं कर (क्वालीफाई) सकती हूं। विश्व चैंपियनशिप में जीत से मदद मिली।'' तूलिका का मानना है कि चीन की सू शिन खेलों के दौरान उनकी सबसे कड़ी प्रतिद्वंद्वी साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह मेरी सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धी होंगी क्योंकि 2022 एशियाई चैंपियनशिप में उनके साथ मुकाबले के दौरान मैं चोटिल हो गई थी। मुझे लगता है कि वह मेरी अब तक की सबसे कड़ी प्रतिद्वंद्वी थी। फ्रांस की रोमेन डिको भी एक अच्छी प्रतिद्वंद्वी हैं। वह चीनी की खिलाड़ी की तरह भारी नहीं हैं लेकिन तेज और शक्तिशाली है।''

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