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अपटन और बूट शिविर ने ओलंपिक से पहले हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाया: हरमनप्रीत

नयी दिल्ली. दबाव में गोल खाने से लेकर मानसिक तौर पर मजबूत होने तक भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एक लंबा सफर तय किया है और कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस ओलंपिक में लगातार कांस्य पदक जीतने के दौरान अपने खिलाड़ियों के संयम का श्रेय मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन और स्विट्जरलैंड के ‘एंडवेंचर' माइक हॉर्न के साथ तीन दिवसीय ‘बूट शिविर' को दिया। हरमनप्रीत ने शनिवार को देश लौटने के बाद कहा, ‘‘हां, निश्चित रूप से इस टीम की मानसिक दृढ़ता पूरी तरह से अलग है। हम एकजुट हैं और मुश्किल परिस्थितियों में हमने एक-दूसरे का समर्थन किया और एक-दूसरे को प्रेरित किया। '' उन्होंने कहा, ‘‘पहले मैच से लेकर आखिरी मैच तक हम एक इकाई के तौर पर खेले और स्वर्ण पदक की कोशिश में एक-दूसरे का समर्थन किया। निश्चित रूप से पैडी अपटन की इसमें बड़ी भूमिका है। ओलंपिक से पहले माइक हॉर्न के साथ तीन दिवसीय शिविर ने भी हमारे रिश्ते को और मजबूत बनाया इसलिए मानसिक रूप से हम अच्छी स्थिति में थे। '' 2011 विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के साथ भी काम कर चुके अपटन पिछले साल जून में हॉकी टीम से जुड़े थे। पेरिस जाने से पहले हॉर्न के साथ शिविर लगाने का विचार उनका था। स्विटजरलैंड में तीन दिवसीय शिविर में ग्लेशियर पर चलना, साइकिल चलाना, चढ़ाई करना और झरने से नीचे उतरना जैसी गतिविधियां शामिल थीं। हरमनप्रीत ने कहा कि जब टीम ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में नर्वस परिस्थितियों का सामना कर रही थी तो यह मददगार साबित हुआ। इस मैच में अमित रोहिदास को रेड-कार्ड दिए जाने के बाद टीम 40 मिनट से अधिक समय तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेली थी। टीम ने ब्रिटेन को निर्धारित समय में 1-1 से बराबरी पर ही नहीं रोका बल्कि स्टार गोलकीपर पी आर श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन की बदौलत शूटआउट में भी जीत दर्ज की। यह उस टीम के लिए एक शानदार परिणाम था, जिसकी छवि अंतिम अवसर पर गोल खाने की थी। हरमनप्रीत और उनके खिलाड़ियों ने पेरिस में शानदार प्रदर्शन करके अपनी छवि को पूरी तरह से बदल दिया और श्रीजेश को इसका श्रेय दिया जा सकता है जिन्होंने भारत का पेरिस अभियान खत्म होने के बाद संन्यास ले लिया। हरमनप्रीत चाहते हैं कि यह अनुभवी गोलकीपर कुछ और समय तक खेलता रहे लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपने करीबी दोस्त की ओलंपिक पदक के साथ संन्यास लेने की इच्छा को समझते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीजेश और मैं भाई की तरह हैं, हम लंबे समय से साथ-साथ खेलते आए हैं। हां, मैं चाहता हूं कि वह कुछ और साल खेलना जारी रखे, लेकिन आखिरकार यह पूरी तरह से उसका निजी फैसला है और हमें उसका समर्थन करना चाहिए। '' उन्होंने कहा, ‘‘वह एक महान खिलाड़ी हैं और भारतीय हॉकी को तभी फायदा होगा जब वह कोच के तौर पर भारतीय जूनियर टीम से जुड़ें।

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