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 सरकार ने कहा, ‘हस्तक्षेप' के बाद अक्टूबर, 2021 से खाद्य तेलों के खुदरा दाम नीचे आए

 नयी दिल्ली।केंद्र ने मंगलवार को कहा कि देशभर में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें वैश्विक बाजार के अनुरूप एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में ऊंची हैं लेकिन अक्टूबर, 2021 के बाद से इनमें गिरावट का रुझान है। 167 मूल्य संग्रह केंद्रों के रुझान के अनुसार, देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की भारी गिरावट आई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को मूंगफली तेल का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 180 रुपये प्रति किलो, सरसों तेल का 184.59 रुपये प्रति किलो, सोया तेल का 148.85 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल का 162.4 रुपये प्रति किलो और पाम तेल का 128.5 रुपये प्रति किलो था। आंकड़ों में दर्शाया गया है कि एक अक्टूबर, 2021 को प्रचलित कीमतों की तुलना में, मूंगफली और सरसों के तेल की खुदरा कीमतों में 1.50-3 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है, जबकि सोया और सूरजमुखी के तेल की कीमतें अब 7-8 रुपये प्रति किलोग्राम नीचे आ चुकी हैं। मंत्रालय के मुताबिक, अडाणी विल्मर और रुचि इंडस्ट्रीज समेत प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। जिन अन्य कंपनियों ने खाद्य तेलों की कीमतों में कमी की है, वे हैं जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया, हैदराबाद, मोदी नैचुरल्स, दिल्ली, गोकुल री-फॉयल एंड सॉल्वेंट, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज और एन के प्रोटीन्स। उसने कहा है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय जिंस की कीमतें अधिक होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी में साथ हस्तक्षेप से खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है। खाद्य तेल की कीमतें एक साल पहले की अवधि की तुलना में अधिक हैं लेकिन अक्टूबर से ये नीचे आ रही हैं।'' इसमें कहा गया है कि आयात शुल्क में कमी और जमाखोरी पर अंकुश को स्टॉक की सीमा लगाने जैसे अन्य कदमों से सभी खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिली है और उपभोक्ताओं को राहत मिली है। खाद्य तेलों के आयात पर भारी निर्भरता के कारण घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है। भारत खाद्य तेलों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है क्योंकि इसका घरेलू उत्पादन इसकी घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है। देश में खाद्य तेलों की खपत का लगभग 56-60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर/लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में हैं। इसलिए खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें आयातित तेलों की कीमतों से तय होती हैं।
 

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