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बायो-इथेनॉल और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास की बेहतर संभावनाएं

फिक्की छत्तीसगढ़ प्रदेश परिषद के संयोजन में सीएसआईडीसी, छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ में बायो-इथेनॉल एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के अवसर पर वेबीनार आयोजित
छत्तीसगढ़ बायो-इथेनॉल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए निवेश की पसंदीदा जगह है जहां आने वाले समय में 200 फूड पार्क स्थापित होंगे- पी. अरुण प्रसाद- आईएफएस, एमडी-सीएसआईडीसी, छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार का लघु वन उपज पर बहुत ज़ोर है और इसे आगामी औद्योगिक नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करने की योजना है- संजय शुक्ला-आईएफएस, एमडी- छत्तीसगढ़ राज्य लघु वन उपज सहकारी समिति
रायपुर।  फिक्की छत्तीसगढ़ राज्य परिषद और सीएसआईडीसी, छत्तीसगढ़ सरकार ने संयुक्त रूप से जैव-इथेनॉल और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के अवसर पर बुधवार को एक वेबीनार का आयोजन किया। प्रदीप टंडन,  अध्यक्ष फिक्की - छत्तीसगढ़ राज्य परिषद, पी. अरुण प्रसाद, एमडी, सीएसआईडीसी, संजय शुक्ला, एमडी छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ और गुलरेज़ आलम, सदस्य फिक्की -छत्तीसगढ़ राज्य परिषद इस वेबीनार के पैनलिस्ट थे। फिक्की छत्तीसगढ़ राज्य परिषद द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन (आभासी) सत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के घरेलू और राष्ट्रीय स्तर के बड़े उद्यमियों के साथ-साथ व्यक्तिगत और संस्था गत निवेशकों की भी अच्छी-खासी भागीदारी रही।
इस अवसर पर सीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक पी. अरुण प्रसाद ने अपने संबोधन में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की प्रदेश में संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के मुताबिक कारोबार की सुगमता के लिहाज से छत्तीसगढ़ सर्वोच्च उपलब्धियां हासिल करने वाले अग्रणी राज्यों में शामिल है। सरकार की योजना प्रदेश में जिला व प्रखंड स्तर पर 200 फूड पार्क स्थापित करने की है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ देश में तेजी से तरक्की करने वाले मजबूत राज्य के रूप में उभर रहा है। प्रदेश में 80 फीसदी लोग कृषि और कृषि आधारित व्यवसाय पर आश्रित हैं। हमारे यहां 88 प्रजातियों के औषधीय पौधे उगाए जाते हैं और सरकार इथेनॉमेडिसीन इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने में सदैव आगे रही है। इस कार्य में सदियों से अनुसूचित जाति के लोग लगे हैं। छत्तीसगढ़ की सीमाएं 7 राज्यों से मिलती हैं। हमारा प्रदेश रेल, सड़क और हवाई यातायात की दृष्टि से समृध्द है और देश का लॉजिस्टिक्स हब बनने की पूरी क्षमता रखता है।
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि छत्तीसगढ़ अपनी जरूरत से अधिक (अधिशेष) धान उत्पादन करने वाले राज्यों में शामिल है। ताजा आंकड़ों के हिसाब से राज्य में 80 लाख टन धान की खरीद की गई है जो भविष्य में और बढ़ेगी। हाल ही में, केंद्र सरकार ने अधिशेष चावल को इथेनॉल में बदलने की अनुमति दी है। इस इथेनॉल का उपयोग अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजऱ बनाने और पेट्रोल सम्मिश्रण में किया जाएगा। वाणिज्य और उद्योग विभाग ने छत्तीसगढ़ राज्य में इथेनॉल संयंत्र की स्थापना के लिए प्रस्ताव (ईओआई) मांगे हैं। इस सिलसिले में 21 जुलाई 2020 को हुई प्री-बिड मीटिंग के दौरान प्रतिभागियों ने कोविड19 महामारी की वजह से अंतिम तिथि 10 अगस्त 2020 तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया। पी. अरुण प्रसाद ने इच्छुक बोलीकर्ताओं से अनुरोध किया है कि वे अपने प्रस्ताव निर्धारित आवेदन प्रारूप (ईओआई) के अनुसार ही प्रस्तुत करें।
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वन उपज सहकारी समिति के एमडी संजय शुक्ला ने कहा कि लघु वन उपज के संग्रह और प्राथमिक प्रसंस्करण को सुगम बनाने के साथ-साथ लघु वन उपज प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इसका वास्तविक लाभ सीधे इस कारोबार से जुड़ी ग्रामीण आबादी को होगा। उन्होंने आह्वान किया कि लघु वन उपज खरीदें, उनका प्रसंस्करण करें और 31 मार्च 2022 तक अत्याधुनिक प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना कर यह कारोबार 500 करोड़ रुपये से ऊपर ले जाएं तभी ग्रामीण पृष्ठभूमि के 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा। इससे पूर्व प्रदीप टंडन, अध्यक्ष, फिक्की छत्तीसगढ़ ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि आज प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की आवश्यकता है क्योंकि यह ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण में मदद करेगा, कच्चे कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन कर बेहतर कीमत दिलाएगा, ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार पैदा करेगा और साथ ही अर्थव्यवस्था के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अवसर पर गुलरेज़ आलम, सदस्य-फिक्की छत्तीसगढ़ राज्य परिषद व निदेशक, एबीआईएस एक्सपोट्र्स आई प्राइवेट लिमिटेड ने अपने धन्यवाद अभिभाषण में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए प्रदेश सरकार की पहल की सराहना करते हुए निवेशकों का आह्वान किया कि वे पूरे इत्मीनान से उद्योग लगाएं और कारोबार करें। सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास के लिए प्रयत्नशील है। यहां न सिर्फ कृषि उत्पादन पर्याप्त है बल्कि उद्योग लगाने के लिए भूमि व स्थानीय बाजार के साथ-साथ निर्यात की भी भरपूर संभावनाएं हैं। सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए पर्याप्त अनुदान और आर्थिक सहयोग (सब्सिडी) प्रदान कर रही है।
 

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