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 कोयले की बढ़ती लागत से बढ़ा चाय उद्योग का संकट : टीएआई
 कोलकाता।  प्रमुख उद्योग निकाय भारतीय चाय संघ (टीएआई) ने सोमवार को भारी कमी की वजह से कोयले की बढ़ती लागत का मुद्दा उठाया। संघ ने कहा कि इससे चाय बागानों में पौधरोपण का काम प्रभावित हो रहा है। टीएआई ने कहा कि चूंकि उत्तर बंगाल क्षेत्र में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति नहीं है, जो ऊपरी असम के बागानों में उपलब्ध है, इससे उत्तर बंगाल के बागानों को प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान का सामना करना पड़ता है। एसोसिएशन के सूत्रों ने कहा कि चाय जैसे श्रम प्रधान उद्योग में न्यूनतम मजदूरी का मुद्दा, मजदूरी के कारण उत्पादन की लागत अन्य कम श्रम प्रधान उद्योगों की तुलना में हमेशा अधिक होती है। टीएआई ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार, नियोक्ता और कर्मचारी न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण से संबंधित मामलों में लगे हुए हैं और उद्योग द्वारा दी गई विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से उसने सरकार से चाय श्रमिकों और उद्योग की मजदूरी संरचना का अध्ययन करने का भी आग्रह किया था। जलवायु परिवर्तन के संबंध में टीएआई ने यह भी बताया कि चाय उद्योग में हर साल अक्टूबर के बाद बारिश में तेज गिरावट देखी जा रही है। इससे बागानों में कीड़े लगने की समस्या भी आती है। एसोसिएशन ने कहा कि इस समस्या का मुकाबला करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन के जरिये चाय उद्योग को अधिक सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। चूंकि उत्तर बंगाल में खासकर छोटे चाय उत्पादकों द्वारा चाय का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। इससे उत्तर बंगाल से चाय के निर्यात का मुद्दा भी उठा है। शुरआती अनुमानों के अनुसार, उत्तर बंगाल से केवल 40 लाख किलोग्राम चाय का निर्यात किया जाता है और इस आंकड़े को बढ़ाने की जरूरत है। पश्चिम बंगाल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए टीएआई ने कहा कि 'चा सुंदरी' योजना के तहत श्रमिकों को आश्रय देने का कार्यक्रम स्वागतयोग्य कदम है।

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