खाद्य तेल पर आयात शुल्क घटा, कीमतों में राहत की उम्मीद
नई दिल्ली। भारत सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात कर को 10 प्रतिशत अंक कम कर दिया है। इससे न केवल खाद्य तेलों की कीमतें कम होंगी, बल्कि स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग को भी फायदा होगा। इस कदम से मांग बढ़ने और पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
सरकार ने एक अधिसूचना में बताया कि कच्चे पाम ऑयल, कच्चे सोयाबीन ऑयल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बुनियादी सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही, कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (सेस) और सामाजिक कल्याण अधिभार को मिलाकर इन तेलों पर कुल आयात कर अब 27.5 प्रतिशत से घटकर 16.5 प्रतिशत हो गया है।
स्थानीय उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (IVPA) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कच्चे खाद्य तेल पर आयात कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और रिफाइंड तेल पर शुल्क को 35.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने से कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच शुल्क का अंतर बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया है। देसाई ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने वाला एक साहसिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारतीय रिफाइनरियों की क्षमता मजबूत होगी, बल्कि तिलहन किसानों को उचित दाम और उपभोक्ताओं को सस्ता तेल मिलेगा।
IVPA के आंकड़ों के अनुसार, जून-सितंबर 2024 में रिफाइंड पाम ऑयल का आयात 4.58 लाख मीट्रिक टन था, जो अक्टूबर 2024-फरवरी 2025 के दौरान बढ़कर 8.24 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो कुल पाम ऑयल आयात का लगभग 30 प्रतिशत है। इसके अलावा, दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) के तहत शून्य शुल्क के कारण पड़ोसी देशों से रिफाइंड तेल की भारी मात्रा भारतीय बाजार में आ रही थी।
हालांकि, सभी इस फैसले से खुश नहीं हैं। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने बयान जारी कर कहा कि खाद्य तेलों पर शुल्क कम करना स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग और किसानों के लिए नुकसानदायक है। SOPA ने इसे आयात लॉबी को फायदा पहुंचाने वाला कदम बताया और कहा कि इससे खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्रभावित होगा। SOPA ने यह भी सवाल उठाया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने के एक दिन बाद ही सरकार ने यह कदम क्यों उठाया।
अप्रैल 2025 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर खाद्य मुद्रास्फीति 2.69 प्रतिशत से घटकर 1.78 प्रतिशत हो गई थी। हालांकि, तेल और वसा (ऑयल्स एंड फैट्स) और फल अप्रैल 2025 में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति वाले एकमात्र दो आइटम थे।
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