देश में लॉजिस्टिक लागत जीडीपी के 7.97 प्रतिशत होने का अनुमान: डीपीआईआईटी रिपोर्ट
नयी दिल्ली. भारत की लॉजिस्टिक लागत वित्त वर्ष 2023-24 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 7.97 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
यह रिपोर्ट डीपीआईआईटी के लिए आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा तैयार की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के अनुमानों से पता चलता है कि लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि की गति धीरे-धीरे धीमी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के लिए निकाले गए अनुमान बताते हैं कि लॉजिस्टिक लागत की वृद्धि दर धीरे-धीरे कम हो रही है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, मालगाड़ियों के लिए अलग से बनाया गया गलियारा, सागरमाला परियोजना, एकीकृत जांच चौकियों और एकीकृत लॉजिस्टिक इंटरफेस मंच के विकास जैसी कई पहलों को दिया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, "डीपीआईआईटी के लिए एनसीएईआर द्वारा तैयार किए गए वर्तमान मूल्यांकन के अनुसार, भारत में लॉजिस्टिक लागत कुल जीडीपी का लगभग 7.97 प्रतिशत अनुमानित है।" वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह भारत में लॉजिस्टिक लागत के आकलन पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके साथ ही, अब देश के पास लॉजिस्टिक लागत का एक व्यापक और वैज्ञानिक रूप से प्राप्त अनुमान उपलब्ध है। यह प्रगति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक, भारत में लॉजिस्टिक लागत को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता था, और आमतौर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13-14 प्रतिशत के आंकड़े बाहरी अध्ययनों या आंकड़ों से प्राप्त किए जाते थे। इससे अनुमानों में विसंगति पैदा हुई, जिससे नीति निर्माताओं और संबंधित वैश्विक इकाइयों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई। यह रिपोर्ट विभिन्न परिवहन साधनों, उत्पाद श्रेणियों और कंपनी के आकारों में लॉजिस्टिक लागत को शामिल करके एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है।

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