भगवत प्राप्ति पर ही हम सदा-सदा के लिए आनंदमय हो सकते हैं-श्रीश्वरी देवी
- उमरपोटी, भिलाई में आयोजित दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का दूसरा दिन
भिलाई। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री श्रीश्वरी देवीजी के 13 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के दूसरे दिन भी लाोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
सुश्री श्रीश्वरी देवी जी ने आज जीव का लक्ष्य क्या है, इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व का प्रत्येक जीव आनंद की प्राप्ति हेतु ही प्रतिक्षण प्रयत्नशील है और कोई भी जीव एक क्षण के लिए भी अकर्मा नही रह सकता । आनंद प्राप्ति ही हमारा लक्ष्य है अतएव दिनभर में जितने विपरीत कार्य हम करते हंै, केवल आनंद के लिए ही करते है। हम आनंद ही क्यों चाहते हैं? इसके उत्तर में उन्होंने कहा चुकी विश्व का प्रत्येक जीव भगवान का अंश है, भगवान अंशी है, साथ ही साथ प्रत्येक अंश अपने अंशी से ही स्वभाविक रूपेण प्यार करता है अत: विश्व का प्रत्येक जीव भी अपने अंशी भगवान से ही स्वभाविक रूप से प्यार करता है और भगवान स्वयं आनंद है, भगवान एवं आनंद पर्यायवाची शब्द है, अत: विश्व का प्रत्येक जीव आनंद से ही प्यार करता है। आनंद की परिभाषा क्या है?
वेद कहता है "यो वै भूमा तत्सुखं नाल्पे सुखमस्ति भूमैव सुखं " अर्थात आनंद सदा अनंत मात्रा का होता है, अनंत काल के लिए मिला है, आनंद चुकी भगवान का पर्यायवाची शब्द है अतएव ऐसा आनंद एक बार ही मिल जाए किसी को फिर छिना नहीं करता, अपितु वो निरंतर बढ़ता ही जाता है लेकिन ऐसा आनंद हमें आज तक प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि जो संसारी वस्तुओं से हमें जिस आनंद की प्राप्ति होती है, वो तो क्षणभंगुर होता है। कुछ क्षण पश्चात आनंद दुख में परिवर्तित हो जाता है अत: यह आनंद नही है, जो हमें संसार से मिलता है। आनंद स्वयं भगवान है अत: भगवत प्राप्ति पर ही हम सदा-सदा के लिए आनंदमय हो सकते हैं।
गौरतलब है कि सुश्री श्रीश्वरी देवीजी द्वारा 13 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक 22 से 5 मई तक शाम 6 से रात 8 बजे तक उमरपोटी श्रीजी पैलेस के सामने में किया जा रहा है।
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