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 भगवद्प्राप्ति के लिए केवल भक्ति मार्ग ही सर्वसुगम, सर्वसाध्य एवं सर्वश्रेष्ठ मार्ग है -श्रीश्वरी देवी

 - भिलाई के उमरपोटी में आयोजित दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का तेरहवां दिन
- कल 6 मई को प्रवचन स्थल में खेली जाएगी फूलों की होली
भिलाई।  उमरपोटी श्री जी पैलेस के पास में आयोजित जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री श्रीश्वरी देवीजी के 14 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला अब अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।   
आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के 13 वें दिन आज सुश्री श्रीश्वरी देवी  ने वेद और शास्त्रों के प्रमाणों सहित बताया कि भगवद्प्राप्ति के 3 मार्गों को प्रशस्त किया गया है कर्म मार्ग, ज्ञान मार्ग और भक्तिमार्ग। भगवद्प्राप्ति के तीनों मार्गों में केवल भक्ति मार्ग ही सर्वसुगम, सर्वसाध्य एवं सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। प्रथम दो मार्गों का संक्षेप वर्णन कर बताया कि कर्म मार्ग में कर्मकांड की वेदों में घोर निंदा भी की गई है। इसका कारण यह बताया कि कर्मकांड से स्वर्ग की प्राप्ति होती है लेकिन स्वर्ग भी क्षणभंगुर है मायिक है। अत: कर्मकांड करना घोर मूर्खता है इस मार्ग के कड़े नियमों का सही सही पालन न करने वाले यजमान का नाश हो जाता है परंतु ज्ञान मार्ग पर चलना भी कलयुग में बहुत मुश्किल है क्योंकि उसमें अधिकारी होना चाहिए। संसार से पूर्ण विरक्त व्यक्ति ही ज्ञान मार्ग में अधिकारी बनेगा और दूसरी बात ज्ञानी भगवान् की शरण में नहीं जाता है और नियम ये है कि सगुण साकार भगवान् के शरणागत होने पर ही मायानिवृति हो सकती है। ज्ञानी का ज्ञान मार्ग में बार बार पतन होता है जिसकी रक्षा करने वाला न भगवान होता है न गुरु ही होता है। 
हमारे वेदों में भक्ति से युक्त कर्म धर्म की प्रशंसा की गई है और भक्ति से रहित कर्म धर्म निंदनीय  बताया गया है। भक्ति मार्ग बड़ा सरल है क्योंकि इसमें सभी अधिकारी है और भक्ति में कोई नियम नहीं है कि कैसे भक्ति करो, कर्म आदि में तो नियम है विधि विधान होना सही सही कम्पलसरी है। भक्ति मार्ग में बस इतना ही नियम है कि कामना शून्य भक्ति होनी चाहिए यानी निष्काम और अनन्य हो। राधा कृष्ण की भक्ति निष्काम होकर करनी होगी। महापुरुषों के द्वारा तत्वज्ञान प्राप्त कर उनके अनुगत होकर भक्ति करना ही भक्ति की विशेषता है। भक्ति सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि भक्ति करने से अंत:करण शुद्ध होता है। अंत:करण शुद्धि पर गुरु द्वारा दिव्य इंद्रिय मन बुद्धि प्राप्त होते हैं तभी भगवान का दर्शन, उनका प्रेम, उनकी सेवा मिलती है। भगवद्प्राप्ति के बाद भी भक्ति बनी रहती है और यह भक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है। इस प्रकार भक्ति अजर अमर है। भक्ति मार्ग में भगवान श्री कृष्ण का प्रेमानंद या ब्रजरस मिलता है, सर्वोच्च रस ब्रजरस ही है, जिसकी महिमा सभी संतों ने बताई है इसलिए भगवद् प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग ही सर्वसुगम और सर्वश्रेष्ठ हैं।
चौदह दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का कल छह मई को अंतिम दिन है। कल शाम 6 बजे भक्ति मार्ग पर विशेष प्रवचन दिया जाएगा। प्रवचन के पश्चात वृन्दावन की तर्ज पर फूलों की होली खेली जाएगी। एवं महाआरती का भी आयोजन होगा।
गौरतलब है कि सुश्री श्रीश्वरी देवीजी द्वारा 14 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक 22 से 6 मई  तक शाम 6 से रात 8 बजे तक उमरपोटी श्रीजी पैलेस के सामने में किया जा रहा है। 
 
  

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