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 केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने मीसा बंदियों का किया सम्मान

- सम्मान पाकर अभिभूत हुए मीसाबंदी
बिलासपुर /केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री तोखन साहू ने जल संसाधन विभाग के प्रार्थना सभा कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में मीसा बंदियों एवं लोकतंत्र सेनानियों को शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया। आपातकाल की 50 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मान पाकर लोकतंत्र सेनानी अभिभूत हो गए। आपातकाल के काले अध्याय विषय पर आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का भी केन्द्रीय मंत्री ने शुभारंभ किया। इस अवसर पर विधायक श्री धरमलाल कौशिक, विधायक श्री धर्मजीत सिंह, महापौर श्रीमती पूजा विधानी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री राजेश सूर्यवंशी एवं जिला अध्यक्ष श्री दीपक सिंह सहित लगभग 40 लोकतंत्र सेनानी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान श्री साहू  ने कहा कि मीसा बंदियों ने आपातकाल के कठिन समय में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए जो संघर्ष किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने  अपने अद्वितीय संघर्ष एवं बलिदान हमारे देश की आजादी एवं लोकतंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे अपने जीवन को खतरे में डालकर लोकतंत्र और मनवाधिकार की रक्षा के लिए काम किया है। उन्होंने हमे सिखाया है कि हमें अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। मीसा बंदियों से आपातकाल के दौरान घटी घटनाओं के विषय में भी जाना। मीसा बन्दी परिवार की श्रीमती भावना पाठक ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि आपातकाल के समय उनकी माता जी को पुणे के यरवदा जेल में निरूद्ध रखा गया था। परिवार में पन्द्रह दिन बाद बड़ी बहन की शादी थी, तब भी माता जी को जमानत नहीं दी गई। आपातकाल के दौरान बिना कारण के लाखों लोगों को बिना कारण के जेल में डाल दिया गया। मीसाबंदी संघ बिलासपुर के अध्यक्ष श्री गोवर्धन गुलहरे ने भी आपातकाल के अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का सफल संचालन सौरभ सक्सेना ने किया। जिला प्रशासन की ओर से श्री एसपी दुबे अपर कलेक्टर ने अतिथियों का सम्मान एवं आभार व्यक्त किया।
 केन्द्रीय मंत्री ने किया छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ
केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री तोखन साहू ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर लगाई गई छाया चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया। छायाचित्र प्रदर्शनी में आपातकाल कालखंड के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों, जनआंदोलनों, सेंसरशिप, और लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए गए संघर्षों को दर्शाया गया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह दिवस हमें लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्ता का पुनः स्मरण कराता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदैव सजग रहें। इस अवसर पर सभी ने छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से उस कालखंड की घटनाओं को गंभीरता से देखा और लोकतंत्र की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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