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वीर बाल दिवस: मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के चार नन्हें जांबाजों को वीरता पुरस्कार से नवाजा

 बहादुर ओम उपाध्याय को साहिबजादा अजीत सिंह अवॉर्ड

रायपुर/मुख्यमंत्री निवास में आयोजित 'वीर बाल दिवस' के विशेष समारोह में प्रदेश के चार बहादुर बच्चों को उनकी अदम्य वीरता और सूझबूझ के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सम्मानित किया। छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में इन बच्चों को गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की स्मृति में स्थापित पुरस्कार प्रदान किए गए।
पुरस्कार पाने वालों में भिलाई के ओम उपाध्याय (साहिबजादा अजीत सिंह अवॉर्ड) शामिल हैं, जिन्होंने कुत्तों के हमले से बच्चों को बचाया। सरगुजा की 7 वर्षीय कांति (साहिबजादा जुझार सिंह अवॉर्ड) ने हाथियों के झुंड के बीच से अपनी छोटी बहन को सुरक्षित निकाला। धमतरी की अंशिका साहू (साहिबजादा जोरावर सिंह अवॉर्ड) ने करंट की चपेट में आई अपनी बहन की जान बचाई, वहीं रायपुर के प्रेमचंद साहू (साहिबजादा फतेह सिंह अवॉर्ड) को डूबते हुए बालक को बचाने के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि बच्चों का यह साहस प्रेरणादायी है।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर बाल दिवस अगले वर्ष से संपूर्ण छत्तीसगढ़ में भव्य तरीके से मनाया जाएगा।
वीर बाल दिवस के बारे में कक्षा तीसरी के किताबों में अध्याय जोड़ा गया है
छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी ने प्रदेश के विकास के लिए अपना विजन भी पेश किया जिसे मुख्यमंत्री जी ने सराहा।
 छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के संयोजक डॉ. कुलदीप सोलंकी ने बताया कि सोसाइटी की पहल पर ही प्रधानमंत्री ने 26 दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर पर 'वीर बाल दिवस' घोषित किया। समारोह में सांसद संतोष पांडेय और विजय बघेल सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
1.ओम उपाध्याय कोहका, भिलाई,   सम्मान: साहिबजादा अजीत सिंह अवार्ड
खामोश आवाज, पर दहाड़ जैसी हिम्मत: भिलाई की गलियों में जब आक्रामक कुत्तों ने मासूमों को घेरा, तो सन्नाटा पसर गया। लेकिन सुन न पाने वाले ओम उपाध्याय के हौसले ने वह कर दिखाया जो अच्छे-अच्छों के बस में नहीं था। एक कुत्ते ने ओम के हाथ को लहूलुहान कर दिया, पर यह वीर बालक टस से मस नहीं हुआ। दर्द को पीकर ओम तब तक लड़ते रहे जब तक कि शिकारी कुत्ते दुम दबाकर भाग नहीं गए।
2. कु. कांति, ग्राम मोहनपुर, जिला सरगुजा ,  सम्मान: साहिबजादा जुझार सिंह अवार्ड
हाथियों के चक्रव्यूह को भेदने वाली कांति: सरगुजा के जंगलों से जब हाथियों का झुंड गांव में घुसा, तो बड़े-बड़े सूरमा भाग खड़े हुए। एक घर में तीन साल की मासूम अकेली रह गई थी। ऐसे में सात साल की कांति काल बनकर आए हाथियों के सामने ढाल बनकर खड़ी हो गई। हाथियों की चिंघाड़ के बीच से गुजरकर वह घर में घुसी और अपनी बहन को सुरक्षित बाहर निकाल लाई।
3. कु. अंशिका साहू, ग्राम संबलपुर, जिला धमतरी, सम्मान: साहिबजादा जोरावर सिंह अवार्ड
बिजली की रफ्तार से भी तेज दिमाग: धमतरी में जब खेल-खेल में अंशिका की बड़ी बहन बिजली के खुले तार की चपेट में आई, तो यमराज द्वार पर खड़े थे। करंट ने शरीर को जकड़ लिया था। लोग डर के मारे चिल्लाते रह गए, पर नन्हीं अंशिका ने बिजली जैसी फुर्ती दिखाई। बिना डरे, प्लास्टिक की चप्पल को हथियार बनाया और एक सटीक प्रहार से अपनी बहन को मौत के चंगुल से खींच लिया।
4.  प्रेमचंद साहू,ग्राम रामपुर (डंगनिया), रायपुर, सम्मान: साहिबजादा फतेह सिंह अवॉर्ड
मौत की लहरों को चीरने वाला 'जल-नायक': " रायपुर के तालाब में जब एक पैर फिसला, तो हंसी-खुशी का माहौल मातम में बदलने लगा। एक बालक डूब रहा था और सांसे उखड़ रही थी। प्रेमचंद साहू ने अपनी जान की परवाह किए बिना मौत की लहरों में छलांग लगा दी। गहरे पानी की चुनौतियों को मात देते हुए प्रेमचंद ने डूबते हुए बालक को किनारा दिखाया और उसे नया जीवन दान दिया।

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