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 नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान: जल संरक्षण और संवर्धन के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए: कलेक्टर डॉ सिंह
-गांव-गांव में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए महिलाएं चलाएंगी मुहिम
-विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जल संरक्षण का दिया जाएगा संदेश
 रायपुर  । रायपुर जिले में जल संरक्षण के लिए नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा हैै। जिसमें जिले की 11 हजार से अधिक महिला समूह भागीदारी निभाएंगी। यह समूह गांव-गांव जल चौपाल लगाएंगी, जिसमें जाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करेंगे। समूह की महिलाएं जल वाहिनी दीदियाँ के रूप में कार्य करते हुए ग्राम पंचायतों में सभा आयोजित करेंगी और बच्चों से लेकर युवाओं-बुजुर्गों सभी को जल संरक्षण के लिए शपथ दिलाएंगी। सोमवार 24 जून को ही इस अभियान के अंतर्गत ऐसा कार्यक्रम आयोजित होगा।  
 इस महत्वपूर्ण अभियान को दिशा प्रदान करने के लिए आज 22 जून को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित रेडक्रॉस सभाकक्ष में कार्यशाला हुई। इसमें स्व-सहायता समूह की महिलाएं और जल संसाधन विभाग एवं अन्य विभाग के अधिकारी शामिल थे। इसको संबोधित करते हुए कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने कहा कि जल के संरक्षण और संवर्धन के प्रति स्व-सहायता समूह की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएं। विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जाए और अभियान से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाएं। साथ ही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विभिन्न गतिविधियां हो। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ श्री विश्वदीप भी उपस्थित थे। 
 कार्यशाला में इस अभियान के बारे में जानकारी दी गई। इसकी सुव्यवस्थित कार्ययोजना तैयार की गई हैं। इसमें 24 जून को जल चौपाल, जल वहिनी दीदीयों की सभा, युवा, बच्चों व बुजुर्गों को जल सुरक्षा की जागरूकता के लिए शपथ, 25 जून को जल जागरूकता रैली, बैनर एवं दीवाल लेखन से प्रचार-प्रसार, घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोकपिट एवं नलकुओं में रिचार्ज स्ट्रक्चर के बारे में जागरूकता, 26 जून को जल स्त्रोतों की सफाई, शासकीय भवनों में वाटर हॉर्वेस्टिग सिस्टम, पेयजल के स्त्रोतों के पास सोखता गड्ढों की साफ-सफाई एवं निर्माण, नालों में गाद की सफाई, कुओं की सफाई, 27 जून को वृ़क्षारोपण एवं सोकपिट का निर्माण, वर्षा जल को संचित करने रिचार्ज पिट, डाईक का निर्माण और 28 जून को जल की गुणवत्ता की जांच और मल्चिंग, फसल चक्र और जैविक खेती की तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, मिट्टी की नमी को संरक्षित करने और कृषि की में पानी को कम करने साथ ही मृदा में नमी मात्रा का परीक्षण एवं नालों में जलबहाव की मात्रा का परीक्षण किया जाएगा।

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