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  खूबसूरत और सुरीली आवाज की धनी सुरैया...जिनकी प्रेम कहानी अधूरी ही रह गई....
31 जनवरी: पुण्यतिथि पर विशेष
आलेख- मंजूषा शर्मा
जब भी भारतीय सिने जगत में खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों की बात होगी, तो इसमें एक नाम अभिनेत्री और गायिका सुरैया का भी टॉप पर रेहाग। उन्हें  मल्लिका - ए- हुश्न कहा जाता था। उनको इस संसार से विदा हुए  आज 19 साल हो गए हैं। 31 जनवरी 2004 को उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। 
सुरैया का जब भी जिक्र होता है, तो सदाबहार अभिनेता देवआनंद के साथ उनकी प्रेम कहानी की भी याद ताजा हो जाता है। अपने जमाने की यह बड़ी खूबसूरत जोड़ी थी। उन्होंने साथ में फिल्में की और उनके बीच प्यार भी हुआ। दोनों ने जीवन भर साथ रहने का सपना देखा  पर सुरैया के परिवार वालों ने मजहब का वास्ता देकर सुरैया के कदम रोक लिए। सुरैया परिवार वालों के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी इसलिए उन्होंने भी अपने प्रेम को अपने दिल में सदा के लिए दफ्न कर दिया और देवसाहब से किनारा कर लिया। नाराज देवआनंद ने बेरुखी अपना ली और कल्पना कार्तिक से शादी कर जिंदगी में आगे बढ़ गए, लेकिन सुरैया वहीं खड़ी रह गईं। अपने प्रेम की याद में उन्होंने ताउम्र  शादी नहीं की। सुरैया की जिंदगी जैसे उसी रिश्ते पर ठहर गई थी। जीवन के अंतिम दिनों में परिवार के नाम पर एक खालीपन उनकी जिंदगी का हिस्सा था।  उन्होंने अपने अंतिम करीब छह महीने अपने वकील धीमंत ठक्कर के परिवार वालों के साथ  गुजारे। 
 ब्रेकअप के बाद देवआनंद ने फिर कभी सुरैया की खैरखबर नहीं ली। यहां तक कि सुरैया की अंतिम यात्रा में भी वे शामिल नहीं हुए। लोगों ने इसे एक बार फिर मोहब्बत की हार कहा।  
 खूबसूरत एक्ट्रेस सुरैया उस दौर की सबसे महंगी हीरोइन भी थीं। वे काफी सुरीली थी और अपने गाने भी खुद गा रही थी, जो लोकप्रिय भी हो रहे थे। दिलीप कुमार जैसे एक्टर की भी ख्वाहिश थी कि वो सुरैया के साथ काम करें। दोनों को लेकर  फिल्म शुरू भी हुई, लेकिन कहा जाता है कि पहले ही सीन की शूटिंग से सुरैया इतना नाराज हुईं कि फिर उन्होंने कभी दिलीप कुमार के साथ काम नहीं किया।
 सुरैया अपनी सुरीली आवाज के लिए जानी गईं। कई दिग्गज हस्तियां भी उनके प्रशंसकों की सूची में शुमार रहीं। इनमें एक नाम देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी था। पंडित नेहरू एक्ट्रेस-सिंगर सुरैया के बहुत बड़े प्रशंसक थे। रिपोट्र्स के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू ने खुद सुरैया के सामने इस बात का जिक्र किया था। कई रिपोट्र्स में यह दावा किया गया कि इसका खुलासा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक कार्यक्रम के दौरान खुद सुरैया के सामने किया था।  
सुरैया ने कई हिट फिल्में दी, लेकिन वर्ष 1954 में रिलीज हुई उनकी फिल्म  'मिर्जा गालिब' लोगों को बहुत पसंद आई। इस फिल्म में उन्होंने अपने सारे गाने खुद गाए। फिल्म में उनके हीरो भारत भूषण थे। यह फिल्म मशहूर शायर मिर्जा गालिब की जिंदगी पर आधारित थी, जिसे सोहराब मोदी ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में सुरैया ने तवायफ मोती बेगम का किरदार निभाया और दिग्गज अभिनेता भारत भूषण मिर्जा गालिब की भूमिका में थे। कहा जाता है कि इस फिल्म में पंडित जवाहरलाल नेहरू को सुरैया की एक्टिंग खूब पसंद आई। उस समय वह देश के प्रधानमंत्री थे।   सुरैया ने फिल्म 'मिर्जा गालिब' में करीब पांच गजलों को अपनी आवाज दी थी। इसमें सबसे ज्यादा पसंद की गई गजल - ये ना थी हमारी किस्मत ....। 
सुरैया ने अपनी गायकी की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो से की थी और वे बच्चों के लिए गाती थी। एक बार ऑल इंडिया रेडियो पर सुरैया को गाते संगीतकार नौशाद ने सुना। सुरैया के गाने का अंदाज नौशाद साहब को बहुत पसंद आया। इसके बाद उन्होंने फिल्मकार कारदार साहब की फिल्म शारदा में सबसे पहले सुरैया को गाने का मौका दिया। 1936 से 1963 तक सुरैया ने फिल्मों में काम किया था। खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली थी। 

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