'आशिकी फिल्म की ये नायिका आज गुमनामी की जिंदगी जी रही है....
मुंबई। साल 1990 में फिल्म 'आशिकी से दो नए चेहरों ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था- राहुल रॉय और अनु अग्रवाल। आज दोनों ही कलाकार गुमनामी की जिंदगी गुजार रहे हैं। एक्ट्रेस अनु अग्रवाल का पूरा कॅॅरिअर एक सड़क दुर्घटना ने चौपट कर दिया। इस हादसे ने उनकी पूरी शक्ल की खराब कर दी।
हाल ही में एक साक्षात्कार में अनु ने अपनी जिंदगी के वो पन्ने खोले जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता था। उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री को छोडऩे का कारण उनके साथ हुई दुर्घटना नहीं है। वे उससे पहले ही बाहर आ गई थी। अनु ने बताया - 1994 में मैंने नई फिल्में साइन करना बंद कर दिया। मैंने विदेश यात्रा की और एक टॉप हॉलीवुड एजेंसी ने भी 1996 में मेरे साथ साइन अप करना चाहा।
दो साल बाद 1999 में एक दुर्घटना ने अनु की जीवन की दिशा ही बदल दी। इस बारे में उन्होंने बताया 'यह सिर्फ कठिन नहीं था, यह जीवन या मृत्यु का मामला था। सवाल मेरे ठीक होने का नहीं था, लेकिन क्या मैं जिंदा रहूंगी, इसका था। मैं 29 दिनों तक कोमा में थी। आधा शरीर लकवाग्रस्त था और गंभीर चोटें आई थीं। किसी ने नहीं सोचा था कि मैं कभी खड़ी होऊंगी लेकिन मैंने पॉजिटिव रहने की कोशिश की। उन्होंने आगे कहा, 'यहां तक कि जब शरीर एक लाख टुकड़ों में टूट गया और कई फ्रैक्चर हुए, जो सभी ने सोचा होगा, उसके उल्टा मुझे पूरा यकीन था कि मैं जिंदा रहूंगी। मुझे याद है जब मैं उठी, तो मुझे लगा कि मैं एक नवजात बच्चे की तरह हूं। लेकिन मुझे वापस उछलने में काफी समय लगा, मुझे सालों लग गए।
इस हादसे के बाद कुछ लोगों ने अनु को सलाह दी थी कि अगर वो एक्टिंग में वापस आना चाहती हैं, तो कॉस्मेटिक सर्जरी करवाएं। इसके बारे में उन्होंने कहा, 'आज कोई भी इसका सुझाव नहीं देता है, क्योंकि मैं सभी के देखने के लिए तरोताजा हो गई हूं। दूसरी ओर, अब लोग सोचते हैं कि मेरी सर्जरी हुई है क्योंकि मेरा चेहरा एक दशक पहले के चेहरे से अलग दिखता है। दुर्घटना के बाद मेरी टूटी हड्डियों को ठीक करने के लिए और मेरे शरीर के लिए कई सर्जरी हुई लेकिन बस मेरे जिंदा रहने के लिए। अनु ने कहा, 'कोई भी सर्जरी आपको चोट पहुंचाती है और आपके शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित करती है। इसके अलावा, मुझे लगता है कि कॉस्मेटिक सर्जरी प्लास्टिक हैं और मैं किसी भी चीज से आकर्षित नहीं हूं जो प्राकृतिक नहीं है। मेरे योगा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, जहां हम एक अलग हिस्से को चेहरे की तरह नहीं मानते, बल्कि पूरे शरीर को मन और इंद्रियों के साथ व्यवहार करने देते हैं।
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