मशहूर कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया का निधन, फिल्म गांधी के लिए जीता था ऑस्कर
मुंबई। भारत की प्रथम ऑस्कर विजेता एवं कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया का लंबी बीमारी के बाद यहां 15 अक्टूबर को उनके घर पर निधन हो गया। उनकी बेटी ने यह जानकारी दी। अथैया 91 वर्ष की थीं। उन्हें रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में अपने बेहतरीन कार्य के लिये 1983 में ऑस्कर पुरस्कार मिला था। उनका अंतिम संस्कार दक्षिण मुंबई के चंदनवाड़ी शवदाह गृह में किया गया।
उनकी बेटी राधिका गुप्ता ने बताया कि गुरुवार की सुबह उनका निधन हो गया । आठ साल पहले उनके मस्तिष्क में ट्यूमर होने का पता चला था। पिछले तीन साल से वह बिस्तर पर थीं क्योंकि उनके शरीर के एक हिस्से को लकवा मार गया था। अथैया का जन्म कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में गुरु दत्त की 1956 की सुपहरहिट फिल्म सी.आई.डी में कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में अपने करिअर की शुरूआत की थी। पांच दशक के अपने लंबे करिअर में उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों के लिये काम किया। रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी के लिये उन्हें (ब्रिटिश कॉस्ट्यूम डिजाइनर) जॉन मोलो के साथ बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन का ऑस्कर पुरस्कार मिला था। महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित इस फिल्म को ऑस्कर में आठ श्रेणियों में पुरस्कार मिले थे।
अथैया ने एकेडमी अवाड्र्स में पुरस्कार स्वीकार करने के बाद अपने संबोधन में कहा था, यह यकीन करना बहुत अच्छा है। एकेडमी आपका शुक्रिया और भारत की ओर विश्व का ध्यान आकर्षित करने के लिये सर रिचर्ड एटनबरो का शुक्रिया। अथैया ने 2012 में अपना ऑस्कर सुरक्षित रूप से रखे जाने के लिये एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आट्र्स एंड साइंसेज को लौटा दिया था। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि पुरस्कार लौटाने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा था, मैं इसे कुछ समय के लिये (अपने पास रखना) चाहती थी। मेरी मदद करने के लिये मैं एकेडमी की शुक्रगुजार हूं। अतीत में भी कई ऑस्कर विजेताओं ने पुरस्कार को सुरक्षित रूप से रखे जाने के लिये उन्हें लौटाया है। यह एकेडमी से जुड़ी परंपरा रही है।
उन्होंने बॉलीवुड में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें गुलजार की फिल्म लेकिन (1990) और आशुतोष गोवारिकर की फिल्म लगान (2001) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। आम्रपाली फिल्म में अभिनेत्री वैजयंतीमाला, गाइड में वहीदा रहमान और सत्यम शिवम सुंदरम में जीनत अमान की यादगार कॉस्ट्यूम उन्होंने डिजाइन की। अथैया ने हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक द आर्ट ऑफ कॉस्ट्यूम डिजाइन के विमोचन के अवसर पर कहा था, किसी फिल्म को वास्तविकता के करीब दिखाने में कॉस्ट्यूम की एक बड़ी भूमिका होती है लेकिन भारतीय फिल्म निर्माताओं ने इसे कभी वाजिब तवज्जो नहीं दी। वहीं, आजकल तो यह चलन है कि विदेश शॉपिंग करने जाइए...। मेरे विचार से यह सही चीज नहीं है।
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