दोस्ती पर बने इस गाने को लेकर हुआ था जमकर बवाल, रातों-रात गाने के बोल बदलकर दोबारा रिकॉर्ड करवाया गया...शूटिंग भी फिर से हुई...
मुंबई। हिन्दी फिल्मी गानों का क्रेज आज भी बरकरार है। आज भी लोग पुराने गानों को ज्यादा गुनगुनाना पसंद करते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे गाने भी हुए हैं जिन्हें लेकर विवाद उठा। ऐसे ही एक गाने के बारे में हम बता रहे हैं जो दोस्ती पर आधारित है। यह गाना जब सामने आया तो काफी बवाल मचा। आखिरकार गीतकार से विवादास्पद लाइन को बदलवाया गया और फिर से इसे रिकॉर्ड किया गया। जानते हैं कौन सा है ये गाना....
ये गाना साल 1977 में आई फिल्म 'धरम वीर' का गाना 'सात अजूबे इस दुनिया में' है। इस गाने के रिलीज होते ही देश में महिला संगठनों ने इसे लेकर बवाल किया था। जब इस फिल्म का म्यूजिक एलबम रिलीज किया गया तो कुछ ही दिनों में महिला संगठनों ने अपना विरोध करवाना शुरू कर दिया। बाद में निर्माता ने गाने के बोल बदलकर गाने को फिर से रिकॉर्ड करवाया और रिलीज किया। इस पूरे विवाद की वजह गाने के कुछ बोल थे। गाने के दूसरे अंतरे में लेखक आनंद बक्शी ने कुछ ऐसा लिख दिया था जिस पर खासा विवाद हुआ था। दरअसल गाने के दूसरे अंतरा कुछ यूं था, 'ये लड़की है या रेशम की डोर है। कितना गुस्सा है, कितनी मुंह जोर है। ढीला छोड़ न देना हंस के, रखना दोस्त लगाम कसके। मुश्किल से काबू में आए लड़की हो या घोड़ी।' बस इसी लाइन 'लड़की हो या घोड़ी' पर विवाद हुआ ।
महिला संगठनों ने गाने में महिला की तुलना घोड़ी से करने पर विरोध जताया। इसके बाद फिल्म के डायरेक्टर मनमोहन देसाई ने गीतकार आनंद बक्शी से कहकर दूसरी लाइन लिखवाई। आनंद बक्शी ने मामले की गंभीरता समझते हुए झट से आखिरी लाइन के बोल बदलते हुए लिखा, 'मुश्किल से काबू में आए थोड़ी ढील जो छोड़ी'। इसके बाद गाने के इस सीन को फिर से शूट किया गया। इस गाने को धर्मेंद्र, जीतेंद्र और जीनत अमान पर फिल्माया गया है। इस गाने को मोहम्मद रफी और मुकेश ने अपनी आवाजें दी हैं।
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