रात में देर से खाने की आदत बन सकती है जानलेवा बीमारियों का कारण......
आहार की पौष्टिकता, सेवन का समय और इसके तरीके का सीधा असर हमारी सेहत को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ और पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भोजन का एक समय निर्धारित करें और रोजाना उसी समय पर ही भोजन करें। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रात में देर से भोजन करने वाले लोगों में मोटापा बढऩे का जोखिम अधिक पाया गया है। मोटापे को अध्ययनों में हृदय रोग और डायबिटीज का कारक माना जाता है। ये दोनों स्थितियां वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि रात में देर से भोजन करने की आदत कैलोरी की मात्रा, मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा हो सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं में प्रयोगात्मक तथ्यों के आधार पर बताया है कि रात में देर से खाने की आदत ऊर्जा व्यय में कमी, भूख में वृद्धि और वसा ऊतकों में परिवर्तन को बढ़ा देती है। ये स्थितियां संयुक्त रूप से मोटापे के खतरे को बढ़ा देती हैं।
अध्ययन में पाया गया कि निर्धारित समय से चार घंटे के बाद भोजन करने के कारण हमारे भूख के स्तर पर महत्वपूर्ण अंतर पड़ता है, जिससे कैलोरी बर्न और वसा का संचय भी प्रभावित होता है, जो मोटापे का कारण बनती है। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि देर से भोजन करने वाले लोगों में लेप्टिन और ग्रेलिन जैसे भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स पर असर देखा गया। लेप्टिन हार्मोन जो पेट भरा होने का संकेत देता है, इसकी देर से भोजन करने वाले लोगों में विशेष कमी देखी गई। ऐसे लोगों में दूसरे समूह वालों की तुलना में कैलोरी बर्न की गति भी कम देखी गई जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा भी अधिक देखा गया।
निष्कर्ष में टीम ने पाया कि देर से खाने वाले लोगों में शारीरिक और आणविक तंत्र प्रभावित होते हैं जो समय के साथ मोटापे के खतरे को बढ़ा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर इस समस्या को बढ़ा हुआ देखा गया है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने मोटापे की स्थिति को कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारक माना है, इसमें से कुछ को वैश्विक स्तर पर बढ़ते मृत्यु के प्रमुख कारकों के तौर पर भी देखा जाता रहा है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा सीधे तौर पर हृदय संबंधी जोखिम वाले कारकों को बढ़ाता है जिसमें डिस्लिपिडेमिया, टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और नींद संबंधी विकार शामिल हैं।
कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के बढ़ते खतरे के लिए भी मोटापे को जोखिम कारक के तौर पर देखा जा रहा, ऐसे में सभी उम्र के लोगों को अपने स्तर पर मोटापे से बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। रात के समय में जल्दी भोजन करने और भोजन के बाद वॉक की आदत बनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
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