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 छुईमुई या लाजवंती में छिपा है कई रोगों का उपचार... ऐसे करें इस्तेमाल
 आप सभी ने छुईमुई या लाजवंती के पौधे के बारे में जरूर सुना होगा। एक ऐसा पौधा जिसे छूने से उसकी पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। यह एक संवेदनशील पौधा होता है जिसे कई नामों से जाना जाता है। छुईमुई या लाजवंती और शर्मीली इन नामों से जानें जाना वाला पौधा आयुर्वेद के मुताबिक कई औषधीय गुणों का भंडार है। आदिवासी इलाके में इस पौधे का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के लिए काफी समय से किया जाता रहा है।   आइये जानते हैं छुईमुई या लाजवंती के पौधे के औषधीय लाभ के बारे में।
 1. एंटी डिप्रेसेंट, एंटी एंग्जायटी और मेमोरी के लिए फायदेमंद  
 आयुर्वेद के मुताबिक छुईमुई के पौधे के इस्तेमाल से तनाव, अवसाद और डिप्रेशन की समस्या को खत्म किया जा सकता है। याददाश्त में सुधार के लिए भी छुईमुई या लाजवंती का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके पौधे (पत्ती समेत) का अर्क बनाकर उसका सेवन करने से आपको मानसिक समस्याओं में फायदा मिलेगा। आप तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए छुईमुई के पौधे का अर्क बना लें। अब इस अर्क का रोजाना सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से इन बीमारियों में फायदा मिलेगा।
 2. डायबिटीज की समस्या में छुईमुई का इस्तेमाल 
मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या में छुईमुई की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है।  ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए छुईमुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिलीलीटर पानी में डालें। अब इसे तेज आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का सेवन करने से मधुमेह की समस्या में फायदा मिलता है।
 3. बवासीर (पाइल्स) की समस्या में छुईमुई का इस्तेमाल  
 आयुर्वेद के मुताबिक बवासीर के इलाज के लिए छुईमुई का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही होता आ रहा है।   बवासीर से राहत पाने के लिए छुईमुई के पत्तों को लेकर उन्हें छाए में सुखा लें। अब इनका चूर्ण बनाकर तैयार कर लें। अब इसके एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास दूध में मिलकर सुबह शाम सेवन करें। ऐसा नियमित रूप से करने पर   बवासीर और अर्श की समस्या में फायदा मिलेगा।
 4. डायरिया की समस्या में छुईमुई का इस्तेमाल 
सामान्य और खूनी दस्त की समस्या में छुईमुई या लाजवंती की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है।  खूनी दस्त की समस्या में छुईमुई के पौधे की जड़ का चूर्ण बनाकर मरीज को लगभग 3 ग्राम चूर्ण दही के साथ खिलाएं। एक से दो बार खिलाने से खूनी दस्त की समस्या तुरंत खत्म हो जाती है। आदिवासी इलाके में इसकी जड़ों का काढ़ा बनाकर खूनी दस्त की समस्या में देते हैं।
 5. अस्थमा में छुईमुई का इस्तेमाल  
अस्थमा की समस्या में छुईमुई को असरदार आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है। अस्थमा में इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। लाजवंती या छुईमुई में कफ को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं इसलिए इसके इस्तेमाल से अस्थमा की समस्या में कफ बनने से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके पौधे के अर्क का सेवन करने से अस्थमा की समस्या में फायदा मिलता है। लेकिन इसका उपयोग करने से पहले आप किसी वैद्य या आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
 6. पीलिया के इलाज में छुईमुई का इस्तेमाल 
पीलिया एक गंभीर बीमारी है जिसका समय पर इलाज न किये जाने की स्थिति में मरीज की जान भी जा सकती है। पीलिया की समस्या में मरीज के शरीर में खून की कमी और कमजोरी हो जाती है। पीलिया के इलाज के लिए आयुर्वेद में छुईमुई के इस्तेमाल का वर्णन किया गया है। आप छुईमुई के पौधों के इस्तेमाल से पीलिया की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए आप छुईमुई की पत्तियों का रस निकाल लें। इस रस को नियमित रूप से मरीज को दें। लगभग एक हफ्ते में इसका असर देखने को मिलेगा। पीलिया को खत्म करने के लिए छुईमुई की पत्तियों रस रोजाना सुबह 15 दिन के लिए जरूर दिया जाना चाहिए।
 
 

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