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मक्का या बाजरा? वेट लॉस के लिए कौन-सा आटा है सबसे बेहतर

वजन कम करने के लिए अक्सर कहा जाता है कि अपनी डाइट से रोटी को कम कर दें या फिर मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल करें। गेहूं के आटे के अलावा ज्वार, मक्का और बाजरा जैसे अनाज सेहत के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। कई हेल्थ एक्सपर्ट्स सर्दियों में वेट कंट्रोल करने बाजरा और मक्के के आटे से बनी रोटी खाने का सुझाव देते हैं। ऐसे में सभी के मन में सवाल उठता है कि वजन कम करने के लिए बाजरा या मक्का कौन-सा आटा फायदेमंद होता है? आइए, जानते हैं कि पौष्टिकता के मामले में दोनों में से कौन-सा आटा आगे है।
बाजरे के पोषक तत्व और फायदे
प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिजों से भरपूर, बाजरा अनाज के बीच सबसे हेल्दी ऑप्शन्स में से एक है। जो ग्लूटेन फ्री होने की वजह से सेहत के लिए बहुत अच्छा है। हाई फाइबर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ बाजरा में हाई मात्रा में प्रोटीन होता है, जिसमें बाजरा गैस्ट्रिक, कब्ज जैसी प्रॉब्लम्स के लिए बहुत फायदेमंद है। कार्बोहाइड्रेट से युक्त, बाजरे को पचने में लंबा समय लगता है, जिसके कारण इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है और इसे खाने से लम्बे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। बाजरे में मौजूद फाइटोकेमिकल्स, पॉलीफेनोल्स एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटीट्यूमर होते हैं, इसलिए, बाजरा कैंसर सेल्स को पनपने से रोकता है, जिस वजह से कैंसर से बचाव होता है।
मक्के के पोषक तत्व और फायदे
मक्के को आमतौर पर सर्दियों के दौरान खाया जाता है। आप अगर गेहूं से ज्यादा पौष्टिक आटा खाना चाहते हैं, तो मक्के का आटा बेहतरीन ऑप्शन है। मक्का आयरन, फास्फोरस, जिंक और विभिन्न विटामिनों से भरपूर होता है। एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर, मक्के का आटा आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है और यह कैंसर और एनीमिया की रोकथाम में भी मदद करता है। यह वजन घटाने में बहुत कारगर है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जिसे पचने में ज्यादा टाइम लगता है। मक्के का आटा खाने से ठंड कम लगती है और शरीर में गर्मी बनी रहती है।
कौन-सा आटा है ज्यादा बेहतर
दोनों ही आटे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। खासकर सर्दियों में बाजरा और मक्के का सेवन बहुत ही फायदेमंद है। जो लोग तेजी से वजन कम करना चाहते हैं या पेट की चर्बी कम करना चाहते हैं, उन्हें मक्के के आटे की बजाय बाजरे के आटे की बनी रोटी खानी चाहिए। कम कैलोरी की वजह से बाजरे के आटे को वेट कंट्रोल में कारगर माना जाता है। बाजरे का सेवन करते हुए ख्याल रखना चाहिए कि रोजाना बाजरे को न खाएं। इससे गुर्दे में पथरी की समस्या हो सकती है। वहीं, इसके अलावा बाजरे में मौजूद फाइटिक एसिड भी आंत में भोजन के अवशोषण में परेशानी पैदा कर सकता है। वहीं, जिन लोगों का डाइजेशन कमजोर है, उन्हें मक्के के आटे का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि इसे पचाना मुश्किल होता है। मक्के से पेट फूलना, गैस और डायरिया जैसी पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

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