अडेल 30: दुख भरे नगमे पसंद आने के पीछे का मनोविज्ञान
डबलिन। गायिका अडेल का नया एल्बम ‘30' रिलीज हो गया। पिछले माह लाखों लोगों ने इस एल्बम का पहला गाना ‘‘ईजी ऑन मी'' सुना। इस गाने को लोगों ने काफी पंसद किया और माना कि यह एक दुख भरा गाना है। स्वाभाविक नहीं कि हमें दुख भरे गाने पसंद आने चाहिए क्योंकि दुख एक ऐसा भाव है जिससे हम सभी बचना चाहते हैं, लेकिन दुख भरे गाने हमें पसंद क्यों आते हैं?
दुख भरे गीतों का जीव विज्ञान
चलिए जीव वैज्ञानिक सिद्धांत से शुरू करते हैं। जब हम जीवन में किसी को खोते हैं अथवा किसी अन्य की पीड़ा को खुद महसूस करते हैं तो हमारे अंदर प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन नामक हारमोन्स पैदा होते हैं और ये हमें नुकसान तथा दर्द के साथ तालमेल बैठाने में मदद करते हैं। अडेल के दर्द को महसूस करने या अपने दुख को याद करने से हमारे अंदर इस प्रकार के रसायनिक बदलाव आ सकते हैं। अडेल के गाने को सुनना अपने दर्द को कम करने के लिए दर्दनिवारक मॉरफीन लेने जैसा है। हालांकि शोधकर्ता अब भी इस पर काम कर रहे हैं। एक अध्ययन में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले कि दुख भरा संगीत प्रोलैक्टिन के स्तर के बढ़ाता है। वहीं एक अन्य अध्ययन में इस बात के संकेत मिले हैं कि दुख भरे गीतों के पंसद आने के पीछे प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन का हाथ है। दुख भरे संगीत का मनोविज्ञान
हमें दुख भरा संगीत पसंद आने के पीछे की अहम वजह यह है कि हमारे ऊपर इनका गहरा असर होता है। इस अनुभव को कभी-कभी ‘काम मुता' कहते हैं। यह संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है प्रेम में अभिभूत''। यह ऐसी अवस्था है जिसमें अनेक प्रकार के भावों का मिश्रण होता है। लेकिन हम प्रभावित क्यों होते हैं?
अमेरिकी लेखक जेम्स बाल्डविन के शब्दों में ‘‘जिन चीजों ने मुझे सबसे अधिक पीड़ा दी है, वे ऐसी चीजें हैं जिनसे मैं लोगों से सबसे अधिक जुड़ पता हूं,ऐसे लोग जो जिंदा हैं,जो कभी जिंदा थे।'' इसी प्रकार प्रभावित होने के दौरान हम अचानक अन्य लोगों के निकट आ जाते हैं। इस व्याख्या से शायद यह समझने में मदद मिले कि जो लोग दुख भरे गीतों से प्रभावित होते हैं,वे ऐसे लोग हैं जो दूसरों के दुख को महसूस करते हैं।
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