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मतदान अधिकारियों के साथ आधार संख्या साझा करने के लिए मतदाताओं के लिए नया फॉर्म लाया गया


नयी दिल्ली। सरकार ने मतदाता सूची के साथ आधार विवरण को जोड़ने की अनुमति देने के लिए मतदाता पंजीकरण नियमों में संशोधन किया है ताकि दोहरी (डुप्लीकेट) प्रविष्टियों को हटाया सके और ‘सर्विस वोटर' के लिए चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से तटस्थ (न्यूट्रल) बनाया जा सके। केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने शुक्रवार रात अधिसूचना जारी कर घोषणा की थी कि पिछले साल दिसंबर में संसद द्वारा पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुरूप नियमों में संशोधन किया गया है। निर्वाचक पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2022 एक अगस्त से लागू होगा।
दूर-दराज के इलाकों में तैनात सैनिकों या विदेश में स्थित भारतीय मिशन के सदस्यों को ‘सर्विस वोटर' माना जाता है। अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (1950 का 43) की धारा 23 की उप-धारा (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार एक अप्रैल, 2023 को उस तारीख के रूप में अधिसूचित करती है जिस दिन या उससे पहले जिस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल है, वह उक्त धारा के अनुसार अपना आधार नंबर जोड़ सकता है।'' चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम के जरिये चुनावी पंजीकरण अधिकारी "पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से" मतदाता के रूप में पंजीकरण करने वाले लोगों की आधार संख्या प्राप्त कर सकते हैं। मौजूदा मतदाताओं को अपना आधार नंबर साझा करने की अनुमति देने के लिए एक नया फॉर्म "6बी" लाया गया है।
जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनके पास मनरेगा कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड जैसे अन्य प्रमाण साझा करने के विकल्प है। अब किसी भी वर्ष एक जनवरी या एक अप्रैल या एक जुलाई या एक अक्टूबर को 18 साल की आयु पूरी करने वाला नागरिक फौरन मतदाता के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेगा। कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा था कि ये चार तारीखें मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या बढ़ाएंगी। अभी, एक जनवरी को 18 साल की आयु पूरी करने पर ही कोई नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन कर सकता है। एक जनवरी के बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों को पूरे एक साल इंतजार करना पड़ता है। चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से ‘न्यूट्रल' बनाये जाने पर उन्होंने कहा कि ‘पत्नी' शब्द को हटा कर ‘जीवनसाथी' शब्द शामिल किया जाएगा, जो ‘सर्विस वोटर' मतदाता की पत्नी या पति को मतदान के लिए उपलब्ध सुविधा प्राप्त करने की अनुमति देगा।

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