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स्वास्थ्य क्षेत्र में अगले 25 साल के विकास के रोडमैप पर काम कर रही है केन्द्र सरकार : स्वास्थ्य मंत्री


जबलपुर (मध्य प्रदेश)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को कहा कि अगले 25 साल में स्वास्थ्य क्षेत्र को कहां पहुंचना चाहिए इस संबंध में केंद्र सरकार विस्तृत रोडमैप पर काम कर रही है। ‘विश्व सिकलसेल एनीमिया जागरुकता दिवस' पर जबलपुर में सिकलसेल रोग के समग्र प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कभी टोकन के रूप में नहीं सोचती, हमेशा टोटल में सोचती है। अगले 25 साल में हेल्थ सेक्टर कहां तक पहुंचना चाहिए उस पर केंद्र सरकार विस्तृत कार्य कर रही है।'' उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाले आम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा की पहुंच सुनिश्चित हो इसलिए देश में 1.50 लाख ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर' बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक 1.18 लाख केन्द्र काम कर रहे हैं और वहां टेली कंसल्टेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। मांडविया ने कहा, ‘‘मोदी हमेशा कहते हैं कि हम जनता के बीच रहकर सीखते हैं। उन्होंने कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए देश में 64,000 करोड़ रुपये की आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन लॉन्च किया।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें होलिस्टिक अप्रोच के साथ सबको साथ लेकर ‘सिकल रोग' रोग की रोकथाम हेतु कार्य करना है।'' सिकलसेल उन्मूलन के लिये कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सिकलसेल बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है और इसकी रोकथाम के लिये दीर्घावधिक कार्य-योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘आजादी के अमृत महोत्सव' में हमारा लक्ष्य है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से सभी सुखी हों। उन्होंने कहा कि पीड़ितों की 13 प्रकार की जाँच कर उन्हें आवश्यक दवाइयाँ और टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मांडविया ने कहा कि सिकलसेल, टी.बी., मलेरिया, थैलेसिमिया आदि रोगों के उपचार के लिये बड़े स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कहते हुए यह खुशी है कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में सिकलसेल को लेकर चिंतित हैं।'' इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘कोविड महामारी को सामाजिक सहभागिता से नियंत्रित किया गया था। ठीक इसी प्रकार सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन में भी जन-सहयोग से सफलता मिलेगी। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में जन-भागीदारी से जन-जागरुकता अभियान चलाया जायेगा।'' चौहान ने कहा, ‘‘योग, आयुर्वेद और जन-सहयोग से सिकलसेल की रोकथाम के प्रभावी कार्य होंगे। जन-सहयोग के साथ राज्य और जिला स्तर पर कार्यबल का गठन किया जायेगा।'' इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकलसेल एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है और यह मानवता के लिये चुनौती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार सिकलसेल के समग्र उन्मूलन के लिये ठोस कार्य-योजना पर कार्य कर रही है और प्रदेश के जनजातीय बहुल 14 जिलों में इसकी रोकथाम और बचाव का अभियान चलाया जा रहा है।

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