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समान अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों के बराबर या उनसे बेहतर प्रदर्शन करती हैं: राजनाथ सिंह

वलसाड (गुजरात) . रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि महिलाओं ने साबित कर दिया है कि जब भी उन्हें समान अवसर मिलते हैं, तो वे पुरुषों के बराबर या उनसे भी बेहतर प्रदर्शन करती हैं। गुजरात के वलसाड जिले के धरमपुर में श्रीमद राजचंद्र सर्वमंगल महिला उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन करने के बाद सिंह ने कहा कि जैन आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्रजी ने अपने छोटे से जीवन में जो विरासत छोड़ी है वह सदियों तक लोगों का मार्गदर्शन करती रहेगी। वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘वर्चुअल' तरीके से केंद्र की आधारशिला रखी थी, जो 11 एकड़ में फैला है और महिलाओं को कौशल विकास और आजीविका में सुधार में सहायता करता है। श्रीमद राजचंद्र एक जैन मुनि, कवि, रहस्यवादी, दार्शनिक और 19वीं सदी के अंत के एक प्रमुख सुधारक थे। उनके भक्त गुरुदेव श्री राकेशजी ने एक आध्यात्मिक संगठन श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर की स्थापना की। सिंह ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि जो महिलाएं यहां काम करेंगी, वे न केवल सशक्त होंगी बल्कि आत्मनिर्भर भी बनेंगी और उन्हें अपने तरीके से आध्यात्मिक चिंतन में शामिल होने का अवसर और समय मिलेगा।'' सिंह ने ‘स्वरोजगार महिला संघ' (सेवा) की इला भट्ट और श्री महिला गृह उद्योग की संस्थापक जसवंतीबेन पोपट का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘महिलाओं ने साबित कर दिया है कि जब भी उन्हें समान अवसर दिए गए हैं, उन्होंने पुरुषों के बराबर या उससे भी बेहतर प्रदर्शन किया है।'' सिंह ने कहा कि उत्कृष्टता केंद्र, जिसका प्रबंधन पूरी तरह से ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जाएगा, महिला उद्यमिता को और मजबूत करेगा और महिला सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व वाले विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह परिसर महिला सशक्तिकरण के आर्थिक और सामाजिक दोनों पहलुओं को बढ़ावा दे रहा है। एक बार जब यहां के उत्पाद वैश्विक बाजार में पहुंच जाएंगे, तो यह हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत पहल को प्रोत्साहित करेगा।'' सिंह ने कहा कि लगभग 150 साल पहले श्रीमद राजचंद्रजी द्वारा फिर से दिखाए गए ‘मुक्ति मार्ग' ने एक नए युग के लिए आध्यात्मिकता की नींव रखी है। लगभग 2,500 साल पहले भगवान महावीर द्वारा पहली बार यह मार्ग दिखाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीमद राजचंद्रजी ने अपने छोटे से जीवनकाल में जो विरासत छोड़ी है, वह सदियों तक हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। समय के साथ उनकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई है, बल्कि मैं कहूंगा कि उनकी प्रासंगिकता लगातार बढ़ रही है।'' सिंह ने इसे एक सुखद संयोग बताया कि इस वर्ष धर्मपुर में जैन आध्यात्मिक गुरु के आगमन के 125 वर्ष पूरे हुए। उन्होंने कहा, इस साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों परंपराएं भारत की शाश्वत संस्कृति का प्रतीक हैं। दोनों परंपराएं आध्यात्मिकता, अनुशासन और परोपकार जैसे मूल्यों को बढ़ावा देती हैं। और यह संयोग हमें याद दिलाता है कि सांस्कृतिक जागृति, सेवा और चरित्र विकास के संगम से ही सच्चा राष्ट्र-निर्माण संभव है।'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जैन परंपरा और विरासत को संरक्षित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में चोरी हुई 20 से अधिक प्रतिष्ठित तीर्थंकर की प्रतिमाओं को विदेश से भारत वापस लाया गया है। पिछले साल, हमने ‘प्राकृत' भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था।'' उन्होंने कहा कि जैन धर्म का ‘अनेकांतवाद' (गैर-निरपेक्षता) का दर्शन आपसी सह-अस्तित्व और सद्भाव का मार्ग है।

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