कोविड-19 से जूझते मरीजों की जान बचाने दौड़ रही "वेंटिलेटर एक्सप्रेस"
इंदौर । कोविड-19 के मरीजों की जान बचाने के लिए इंदौर के तीन इंजीनियरों का दल राज्य के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर से जुड़ी तकनीकी सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराने की मुहिम में जुटा है। सोशल मीडिया पर "वेंटिलेटर एक्सप्रेस" के रूप में मशहूर हो रहा दल इस मुहिम के तहत न केवल केंद्र सरकार के पीएम केयर्स फंड के तहत भेजे गए नए वेंटिलेटर लगा रहा है, बल्कि पुराने वेंटिलेटरों की मरम्मत कर इन्हें दोबारा शुरू भी कर रहा है। महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच पिछले डेढ़ महीने के दौरान राज्य में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर चुके इस दल में इंदौर के तीन इंजीनियर-पंकज क्षीरसागर, चिराग शाह और शैलेन्द्र सिंह शामिल हैं। क्षीरसागर ने रविवार को बताया कि उनका दल इंदौर के साथ ही धार, शाजापुर, राजगढ़, सागर, दमोह, कटनी, मंडला और शहडोल जिलों में अपनी तकनीकी सेवाएं दे चुका है। उन्होंने कहा, "गुजरे डेढ़ महीने के दौरान हम राज्य के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में करीब 100 वेंटिलेटर शुरू कर चुके हैं। इनमें पीएम केयर्स फंड के तहत भेजे गए नए वेंटिलेटर स्थापित करने के साथ ही पुराने वेंटिलेटरों की मरम्मत का काम शामिल है।" क्षीरसागर ने कहा, "हम कोविड-19 के खिलाफ जारी महायुद्ध में बतौर भारतीय नागरिक अपनी छोटी-सी भूमिका निभा रहे हैं और वेंटिलेटरों से जुड़ी तकनीकी सेवाओं के बदले कोई शुल्क नहीं लेते हैं। हम अस्पताल प्रशासन को अपनी ओर से छोटे-मोटे कलपुर्जे भी मुहैया करा देते हैं।" उन्होंने बताया कि "वेंटिलेटर एक्सप्रेस" को पहले-पहल नया वेंटिलेटर स्थापित करने में चार घंटे का समय लगता था। लेकिन सतत अभ्यास के बाद अब यह तीन सदस्यीय दल इस जीवनरक्षक उपकरण को घंटे भर में ही शुरू कर देता है। इंदौर से करीब 450 किलोमीटर दूर दमोह के जिला चिकित्सालय के डॉक्टर दिवाकर पटेल ने कहा, "हमारे अस्पताल में नए वेंटिलेटर स्थापित करने में वेंटिलेटर एक्सप्रेस के दल ने निःस्वार्थ भाव से मदद की।" "वेंटिलेटर एक्सप्रेस" के क्षीरसागर ने कहा, "सोशल मीडिया पर हमारी मुहिम की जानकारी फैलने के बाद हमें महाराष्ट्र के नासिक और कर्नाटक के हुबली के अस्पतालों से भी बुलावा आया है।
-File photo
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