किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी, योजना के पांच वर्ष पूरे
नई दिल्ली। .आज मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरूआत की थी।
इस योजना के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसके तहत दो चरणों में 22 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। पहले चरण में 2015 से 2017 तक किसानों को 10 करोड़ 74 लाख और दूसरे चरण में 2017 से 2019 तक 11 करोड़ 74 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। सरकार ने इस योजना पर अब तक सात सौ करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की है।
इस योजना का उद्देश्य हर दूसरे साल किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है ताकि उन्हें पता चल सके कि उनके खेतों की मिट्टी में किस चीज की कमी है। इस योजना के तहत किसानों की उपज बढ़ाकर और सतत खेती को प्रोत्साहन देकर अतिरिक्त आय सुनिश्चित की जाती है। योजना आरंभ करते हुए श्री मोदी ने कहा था कि किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत की स्थिति की जानकारी होनी चाहिए। अगर मिट्टी स्वस्थ नहीं होगी तो उत्पादन नहीं बढ़ पाएगा।
इस योजना की शुरुआत राज्य सरकारों को सभी किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में मदद करने के लिए किया गया था। इससे किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी मिलती है, साथ ही यह भी सलाह दी जाती है, कि मिट्टी की सेहत और उसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों की कितनी खुराक देनी चाहिए।
2015 से 2017 तक के पहले चरण में 10 करोड़ 74 लाख और 2017 से 2019 के दूसरे चरण में 11 करोड़ 74 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को जारी किए जा चुके हैं। सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना पर 700 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं।
इस योजना से न केवल किसानों का धन बचा है बल्कि पैदावार में भी बढोतरी हुई है। साथ ही किसानों में यह जागरूकता भी विकसित हुई है कि मानव की तरह मिट्टी के लिए भी पोषक तत्व उतने ही उपयोगी हैं।
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