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मिले 100 से अधिक लापता भूखंड
ग्रेटर नोएडा (उप्र)। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ‘वन मैप ग्रेटर नोएडा' एप के जरिए 100 से अधिक लापता भूखंड ढूंढ़ निकाले हैं, जिनकी कीमत करीब 400 करोड़ रुपये से है। इन भूखंडों के आवंटन से 1500 करोड़ रुपये के निवेश और 4000 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलने का अनुमान है। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने बताया कि उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहला प्राधिकरण है, जिसने वन मैप तैयार कराया है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर की तर्ज पर बने इस वन मैप में ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर एक जानकारी दी गई है। उनके अनुसार प्राधिकरण ने परीक्षण के रूप में इसका बीटा वर्जन शुरू कर दिया है, ताकि आम जन का फीडबैक मिल सके। भूषण ने बताया कि इसका औपचारिक शुभारंभ बाद में मुख्यमंत्री के हाथों होना है, लेकिन ट्रायल में ही इसके खुशनुमा परिणाम आने लगे हैं। उन्होंने कहा वन मैप के जरिए प्राधिकरण को सेक्टर ईटोकेट छह एवं 11 में 108 औद्योगिक लापता भूखंड मिले हैं, जिनकी कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। उन्होंने बताया कि इसकी निगरानी वह खुद कर रहे हैं तथा उन्होंने उद्योगों के साथ ही संस्थागत, आईटी, रिहायशी और वाणिज्यिक विभागों को वन मैप के जरिए भूखंडों की छानबीन करने के निर्देश दिए हैं। ‘वन मैप ग्रेटर नोएडा' के जरिए जिन लापता भूखंडों का पता चला है, माना जा रहा है कि ये वे भूखंड हैं, जो किसी योजना में शामिल किए गए होंगे, लेकिन वे उस योजना से आवंटित नहीं हुए। वे प्लॉट बच गए। ऐसे प्लॉटों को किसी दूसरी स्कीम में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के तबादला पर चले जाने से ये भूखंड छूट गए। अब वन मैप के जरिए प्राधिकरण को ये प्लॉट मिल रहे है। सीईओ ने बताया कि ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर जानकारी को आम जनता तक पहुंचाने के लिए वन मैप तैयार कराने का निर्णय लिया गया। उनके अनुसार इसकी शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले हुई थी, इसे प्राधिकरण की टीम और एनआईसी ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट ग्रेटरनोएडा ऑथोरिटी डॉट इन से लिंक किया गया है तथा उस पर क्लिक करते ही सारी जानकारी आपके सामने आ जाएगी। मसलन, सिटीजन कॉलम पर क्लिक करने से ग्रेटर नोएडा में स्थित बस स्टॉप और पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, सार्वजनिक शौचालय कहां हैं, यह सब पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि आवासीय, इंडस्ट्री, संस्थागत, वाणिज्यिक, आईटी आदि के कितने भूखंड खाली हैं, इसे भी आप यहां देख सकते हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से स्कीम के जरिए आवेदन कर प्लॉट भी पा सकते हैं।
 

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