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मोदी ने आसियान की एकता को भारत की प्राथमिकता बताया, क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की
 
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन आसियान के नेताओं के साथ दक्षिण चीन सागर, आतंकवाद, अफगानिस्तान, कोविड-19 महामारी, सम्पर्क सहित साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बृहस्पतिवार को ‘सार्थक' चर्चा की तथा दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा बनाये रखने एवं इसे प्रोत्साहित करने के महत्व को रेखांकित किया । शिखर बैठक में डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और हिंद प्रशांत के लिए आसियान का दृष्टिकोण (एओआईपी) इस क्षेत्र में उनके साझे नजरिए एवं आपसी सहयोग की रूपरेखा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आसियान की एकता और केंद्रीयता भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। आसियान की यह विशेष भूमिका, भारत की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा है जो ‘सागर' (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) नीति में निहित है।'' बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) रीवा गांगुली दास ने संवाददाताओं से कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रुनेई के सुल्तान हसनाल बोलकिया के निमंत्रण पर 18वें आसियान भारत शिखर बैठक में डिजिटल माध्यम से हिस्सा लिया । उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री और आसियान देशों के नेताओं ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये सहयोग पर भारत-आसियान संयुक्त बयान अंगीकार करने का स्वागत किया । दास ने बताया कि प्रधानमंत्री और आसियान देशों के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर, आतंकवाद, अफगानिस्तान, कोविड-19 महामारी, सम्पर्क सहित साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बृहस्पतिवार को ‘सार्थक' चर्चा की । विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ दोनों पक्षों ने क्षेत्र में कानून आधारित व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन शामिल है।'' इसमें कहा गया है कि नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा बनाये रखने एवं प्रोत्साहित करने तथा नौवहन स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया । दास ने बताया कि बैठक में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सामरिक क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई । भारत आसियान के बीच एजेंडे में ‘सम्पर्क' एक प्रमुख विषय है जिसमें भौतिक संपर्क, डिजिटल संपर्क और लोगों के बीच सम्पर्क शामिल है । विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) ने बताया कि भारत, म्यामां, थाईलैंड हाइवे परियोजना से जुड़ा प्रस्ताव भी सामने है और इस परियोजना पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस राजमार्ग के पूरब की ओर विस्तार के विषय पर चर्चा हुई, इस बारे में रिपोर्ट तैयार है और इस पर आगे बढ़ने को लेकर आसियान देशों की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। मंत्रालय के बयान के अनुसार, आसियान देशों के नेताओं ने क्षेत्र में भरोसेमंद सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान टीके की आपूर्ति के संबंध में । बयान के अनुसार, आसियान देशों के नेताओं ने हिन्द प्रशांत में आसियान की प्रमुखता को लेकर भारत के समर्थन का स्वागत किया और क्षेत्र में भारत आसियान सहयोग को बढ़ावा देने की उम्मीद जतायी । इसमें कहा गया है कि भारत आसियान सम्पर्क को मजबूत बनाने के लिये प्रधानमंत्री ने आसियान सांस्कृतिक धरोहर सूची स्थापित करने में भारत के सहयोग की घोषणा की । कारोबार एवं निवेश पर प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिये ठोस एवं विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को रेखांकित किया और इस संदर्भ में भारत आसियान मुक्त कारोबार समझौते का उल्लेख किया । प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत समुद्री पहल और आसियान का हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण इस क्षेत्र में ‘‘हमारे साझा दृष्टिकोण और आपसी सहयोग'' का ढांचा है। उन्होंने कहा कि 2022 में भारत और आसियान की साझेदारी को 30 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को ‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष' के रूप में मनाया जाएगा।

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