करीब 20 माह बाद महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश शुरू
पुरुषों को धोती, महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य
उज्जैन। करीब 20 महीनों बाद महाकालेश्वर के गर्भगृह में प्रवेश शुरू हुआ है। सोमवार से प्रशासन ने यह व्यवस्था शुरू की है। अब श्रद्धालु गर्भगृह में महाकाल को जल चढ़ा सकेंगे। इसके लिए कुछ प्रावधान तय किए गए हैं। गर्भगृह में दो लोगों के लिए 1500 रुपए की रसीद कटवाना होगी। जलाभिषेक के लिए एक हजार रुपये की रसीद कटवाना पड़ेगी।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि सोमवार से यह व्यवस्था शुरू की गई। हालांकि भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में प्रवेश को वर्जित रखा गया है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने कोरोना के नए वैरिएंट- ओमिक्रॉन को ध्यान में रखते हुए सामान्य दर्शनार्थियों की भीड़ को देखते हुए सीमित संख्या में गर्भगृह में दर्शन की व्यवस्था की है। दर्शनार्थी शंख द्वार से फेसिलिटी सेंटर, मंदिर परिसर, कार्तिकेय मण्डपम से रैंप उतरकर गणेश मण्डपम की बैरिकेट्स से नंदी मंडपम से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करेंगे व दर्शन के बाद बाहर निकलने के लिए रैंप से जाएंगे।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि 1500 की रसीद पर दो श्रद्धालु , लघु रूद्र की रसीद पर तीन श्रद्धालु और महारूद्र की रसीद पर पांच श्रद्धालु गर्भगृह से दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान भी श्रद्धालु महाकालेश्वर का केवल जलाभिषेक ही कर सकते हैं जिसकी व्यवस्था मंदिर प्रबंध समिति द्वारा की गई। यदि श्रद्धालु के परिवार के तीन सदस्यों को गर्भगृह में जल अर्पित करना है तो उन्हें 1500 रुपये की एक रसीद के अलावा 1000 रुपये की एक अतिरिक्त रसीद कटवाना होगी। मंदिर के अधिकृत 16 पुजारी व 22 पुरोहित अपने यजमानों के लिए एक दिवस में अधिकतम 1500 रुपये की तीन रसीद व लघुरूद्र की दो रसीद ही काउंटर से कटवा सकेंगे तथा रसीद कटाने वाले श्रद्धालुओं को अधिकृत पुजारी-पुरोहित व उनके प्रतिनिधि द्वारा परिचय पत्र धारण कर यजमानों को गर्भगृह में प्रवेश कराया जा सकेगा। पुजारी, पुरोहित अपने यजमानों को प्रात: 6.15 से 7.15 तक दोपहर 1 से 3 बजे तक तथा रात्रि 8 से 9 बजे तक 1500 रुपये की रसीद कटाकर गर्भगृह में जल अर्पित करवा सकेंगे।
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