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ओमीक्रोन के खिलाफ लड़ाई में स्वयं की सजगता, अनुशासन देश की ‘बड़ी ताकत' : मोदी
नयी दिल्ली।ओमीक्रोन के लगातार बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ लड़ाई में स्वयं की सजगता और अनुशासन देश की बड़ी ताकत हैं। मोदी ने ‘मन की बात' रेडियो कार्यक्रम में कहा कि यदि भारत के टीकाकरण संबंधी आंकड़ों की वैश्विक आंकड़ों से तुलना की जाए, तो देश ने अपनी टीकाकरण मुहिम में ‘‘अभूतपूर्व'' काम किया है, लेकिन लोगों को ओमीक्रोन के मद्देनजर सतर्क रहना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘हमारे वैज्ञानिक इस नए ओमीक्रोन स्वरूप का लगातार अध्ययन कर रहे हैं। उन्हें हर रोज नए आंकड़े मिल रहे हैं और उनके सुझावों के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ लड़ाई में स्वयं की सजगता और अनुशासन देश की बड़ी ताकत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सामूहिक ताकत कोरोना वायरस को हराएगी। हमें जिम्मेदारी की इस भावना के साथ 2022 में प्रवेश करना होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘टीकों की 140 करोड़ खुराक देने के पड़ाव को पार करना प्रत्येक भारतवासी की अपनी उपलब्धि है। यह प्रत्येक भारतीय का व्यवस्था पर भरोसा दिखाता है, विज्ञान पर भरोसा दिखाता है और वैज्ञानिकों पर भरोसा दिखाता है। यह समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभा रहे हम भारतीयों की इच्छाशक्ति का प्रमाण भी है।'' मोदी ने शनिवार को घोषणा की थी कि अगले साल तीन जनवरी से 15 से 18 साल की आयु के किशोरों के लिये टीकाकरण अभियान आरंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि 10 जनवरी से स्वास्थ्य कर्मियों एवं अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को चिकित्सकों की सलाह पर एहतियात के तौर पर टीकों की खुराक दिए जाने की शुरुआत की जाएगी। मोदी ने रविवार को ‘मन की बात' कार्यक्रम में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी जिक्र किया, जिन्होंने तमिलनाडु के कुन्नूर के निकट हुए हेलीकॉप्टर हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद पिछले सप्ताह बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस हादसे में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के 11 कर्मियों की मौत हो गई थी। आठ दिसंबर को हुए इस हादसे में केवल ग्रुप कैप्टन सिंह ही जीवित बचे थे। प्रधानमंत्री ने ग्रुप कैप्टन सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किए जाने के कुछ सप्ताह बाद उनके द्वारा अपने स्कूल को लिखे प्रेरणादायी पत्र का भी जिक्र दिया। मोदी ने कहा, ‘‘इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुंच कर भी वह जड़ों को सींचना नहीं भूले। दूसरा (विचार यह आया) कि जब उनके पास जश्न मनाने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की। वह चाहते थे कि जिस स्कूल में वह पढ़े, वहां के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक जश्न बने।'' उन्होंने कहा कि वायुसेना अधिकारी ने लिखा था कि यदि वह किसी एक छात्र को भी प्रेरित कर सके, तो यह उनके लिए बहुत मायने रखेगा। उन्होंने कहा कि वह दरअसल पूरे देश की प्रेरणा बने। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह हर साल की तरह ‘परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में छात्रों से संवाद करने की योजना बना रहे हैं और उन्होंने छात्रों एवं अन्य से इसके लिए माईगोवडॉटइन पर पंजीकरण करने की अपील की। उन्होंने पुस्तकें पढ़ने की आदत की प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम के श्रोताओं से ऐसी पांच किताबों के बारे में बताने को कहा, जो इस साल उनकी पसंदीदा रहीं है। मोदी ने कहा, ‘‘जब लोग स्क्रीन के सामने अधिक समय बिता रहे हैं, तो ऐसे में पुस्तक पढ़ने को और लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए।'' मोदी ने द्विभाषी संस्कृत-सर्बियाई शब्दकोश तैयार करने वाले सर्बियाई विद्वान डॉ. मोमिर निकिच का जिक्र करते हुए कहा कि दुनियाभर में भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में ‘एयर गन सरेंडर अभियान' की भी प्रशंसा की, जिसका लक्ष्य जैव विविधता से समृद्ध राज्य में पक्षियों का अंधाधुंध शिकार रोकना है। उन्होंने कहा कि देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लोगों को हर संसाधन का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह एक तरह से, आत्मनिर्भर भारत का भी मंत्र है, क्योंकि हम जब अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल करेंगे और उन्हें व्यर्थ नहीं होने देंगे, तभी तो हम स्थानीय ताकत को पहचानेंगे, तभी तो देश आत्मनिर्भर होगा। इसलिए, आइए हम अपना संकल्प दोहराएं कि बड़ा सोचेंगें, बड़े सपने देखेंगे और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान लगा देंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि इसी संकल्प के साथ आने वाले साल में देश आगे बढ़ेगा और 2022 एक नए भारत के निर्माण का स्वर्णिम पृष्ठ बनेगा।'' मोदी ने कहा कि वह इस मासिक कार्यक्रम में अपनी सरकार की उपलब्धियों पर बात करने के बजाय उन अनगिनत लोगों के अच्छे कार्यों को रेखांकित करते हैं, जिनका मीडिया में जिक्र नहीं होता। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की बात करने से सुकून मिलता है और गहरी प्रेरणा मिलती है।
 

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