ब्रेकिंग न्यूज़

पितृ पक्ष कब से हो रहे आरंभ? नोट कर लें श्राद्ध की तिथियां और संपूर्ण विधि

पितृ पक्ष सितंबर महीने में प्रारंभ होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होंगे। पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि से कुल 16 दिनों तक मनाए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक रहेंगे। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों से संबंधित कार्य करने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में पितृ गण देवतुल्य होते हैं।  
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं करने पर पितृ दोष लगता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध अमावस्या तिथि पर की जाती है। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होंगे, जो कि 6 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इस साल 26 सितंबर को पितृ पक्ष की कोई तिथि नहीं है।
पितृ पक्ष 2021 की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर

श्राद्ध विधि
किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंडदान, तर्पण) करवाना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।
श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english