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 कोई संत और भगवान की निंदा करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये? श्रीकृष्ण व श्रीराधा किसका सेवन करते हैं?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 387

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की भक्तवत्सलता और भक्तवश्यता भी अनुपम है। कोई भी सत्संगी इनकी छोटी से छोटी सेवा करता, ये उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते। यद्यपि अंदर से शक्ति देने वाले, प्रेरणा देने वाले ये स्वयं ही हैं किंतु किसी भी सत्संगी के द्वारा कोई भी सेवा की जाय ये उसका श्रेय उसे ही देते थे, यश का सेहरा उसी के सिर पर बाँधते थे। प्रेम-मंदिर, भक्ति-मंदिर जैसे दिव्यातिदिव्य स्मारक इनके कठिन प्रयास से ही बनें किन्तु कभी भी इन्होंने अपना सम्मान, अपना यश नहीं चाहा, उसमें जिन सत्संगियों ने सेवा की उन्हीं को इस महान कार्य का श्रेय दिया। आइये ऐसे भक्तवत्सल, भक्तवश्य अति कृपालु रसिकवर की अलौकिक वाणी से निःसृत तत्वज्ञान को आत्मसात करें....

★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)

मम ठाकुर नंदकुमार, मम ठकुरानी सुकुमार।
मम दोऊ प्राणाधार, जय जयति युगल सरकार।।
भज प्यारिहिं नंदकुमार, भज प्यारिहुँ पिय रिझवार।
दोउ सुख महँ दोउ बलिहार, जय जयति युगल सरकार।।

भावार्थ ::: भक्त कहता है - मेरे आराध्य नंदनंदन श्रीकृष्ण हैं। मेरी आराध्या सुकुमारी राधा है। दोनों ही मेरे प्राणों के अवलम्ब हैं। युगल सरकार की सदा जय हो। नंदपुत्र श्रीराधा का सेवन करते हैं। श्रीराधा रसिक शेखर श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। दोनों, दोनों के सुख पर बलिहार जाते हैं। युगल सरकार की सदा जय हो।

• संदर्भ ग्रन्थ ::: युगल रस, कीर्तन संख्या - 2
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★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)

कोई भगवान या संत की निंदा करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
 -- अगर किसी से तुम्हारा 24 घंटे का घनिष्ट संबंध है, वह अगर कुछ कहता है तो मुस्कुरा कर सुन लो। यह देखकर कि इसको तो कुछ दुःख ही नहीं हुआ, वह खिसिया जायेगा फिर नहीं कहेगा। अगर अन्य कोई व्यक्ति है तो उसे झिड़क दो। उससे संबंध खत्म कर देने में कोई हानि नहीं है।

• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी, भाग - 1, प्रश्न संख्या 120

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ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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