सेवा निष्काम भाव से होनी चाहिये परंतु सेवा, साधना करते हुये कोई न कोई स्वार्थ मन में आ जाता है, तो निष्काम कैसे होना है?
• जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 410
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! आपने बहुत बार प्रवचन में कहा है कि प्रेम निष्काम करना चाहिए, सेवा निष्काम होनी चाहिए। तो हम सोचते हैं ऐसा, पर सेवा करते समय कोई ना कोई मतलब, स्वार्थ मन में आ जाता है महाराज जी। तो निष्काम कैसे होना है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: पहले नहीं आयेगा। कोई लड़का पैदा होते ही दौड़ने नहीं लगता अभ्यास करते करते आता है। निष्काम अवस्था तो बहुत ऊँची अवस्था है एम वही रखना चाहिये लेकिन सकाम पहले होगा फिर धीरे-धीरे, धीरे-धीरे, उन्नति करते हुये निष्काम हो जायेगा वो। पहले ही निष्काम कैसे हो सकता है क्योंकि अनंत जन्मों की कामना तो हमारी भरी हुई है भीतर, इसलिये घबराना नहीं चाहिये। सकाम ही हो रहा है चलने दो और लक्ष्य रखो निष्काम का तो एक दिन वो सब कामनाएँ समाप्त हो जायेंगी जैसे-जैसे भक्ति बढ़ेगी।
• संदर्भ ::: प्रश्नोत्तरी भाग – 3, पृष्ठ संख्या 129
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