ब्रेकिंग न्यूज़

कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा !
हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Magh Month Panchami Tithi) को बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati) का उद्भव हुआ था. इसलिए ये दिन माता सरस्वती की आराधना का दिन माना जाता है. ज्ञान, वाणी और कला में रुचि वालों के लिए ​ये दिन बेहद खास होता है. ये भी कहा जाता है कि अगर किसी छोटे बच्चे को शिक्षा प्रारंभ करानी हो, तो इस दिन से शुरुआत कराएं, इससे बच्चे को माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वो बच्चा काफी कुशाग्र बुद्धि वाला और ज्ञानवान बनता है. इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 5 फरवरी को शनिवार के दिन मनाया जाएगा. जानें बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में.
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पंचमी 05 फरवरी सुबह 03 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और 06 फरवरी की सुबह 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. इस तरह बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी को मनाया जाएगा. पूजा के लिए शुभ समय सुबह 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है. राहुकाल सुबह 09 बजकर 51 मिनट से दिन में 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. राहुकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है, इसलिए इस समय पर पूजन आदि न करें.
बसंत पंचमी पूजा विधि
सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें. चाहें तो दिन भर का व्रत रखें या पूजा करने तक व्रत रख सकते हैं. पूजा के स्थान की सफाई करके चौक लगाएं और इस चौक पर माता की चौकी रखें. उस पर पीले रंग का वस्त्र​ बिछाएं. माता सरस्वती की प्रतिमा रखें. उन्हें पीला चंदन, पीले पुष्प, पीले रंग के मीठे चावल, पीली बूंदी या लड्डू, पीले वस्त्र, हल्दी लगे पीले अक्षत अर्पित करें. धूप दीप जलाएं. इसके बाद बसंत पंचमी की कथा पढ़ें या सुनें. माता सरस्वती के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद माता सरस्वती की आरती करें.
बसंत पंचमी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो महसूस किया कि जीवों की सृजन के बाद भी चारों ओर मौन व्याप्त है. इसके बाद उन्होंंने विष्णुजी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे पृथ्वी पर एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुईं. अत्यंत तेजवान इस शक्ति स्वरूप के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में पुष्प, वीणा, कमंडल और माला वगैरह थी. जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, चारों ओर ज्ञान और उत्सव का वातावरण उत्पन्न हो गया. वेदमंत्र गूंजने लगे. जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. तब से इस दिन को माता सरस्वती के जन्म दिन तौर पर मनाया जाने लगा.

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english