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घर में क्लेश बढ़ाती हैं बासी आटे से बनी रोटियां...!

आजकल महिलाएं खाना बनाते समय एक साथ ज्यादा आटा गूंथ लेती हैं और रोटी बनने के बाद बचे हुए आटे को फ्रिज में रख देती हैं. जरूरत पड़ने पर इस आटे से फिर से रोटी बनाती हैं. इससे उन्हें आटा गूंथने के लिए बार-बार मेहनत नहीं करनी पड़ती. आटा स्टोर करना सुविधाजनक तो है, लेकिन ज्योतिष के लिहाज से इसे अच्छा नहीं माना जाता. ज्योतिष में रोटियों का संबन्ध भी ग्रहों से बताया गया है और इसके बारे में तमाम नियमों का उल्लेख किया गया है. माना जाता है कि अगर इन नियमों का पालन न किया जाए तो परिवार में समस्याओं का सिलसिला खत्म नहीं होता और सुख समृद्धि चली जाती है. -----------------यहां जानिए रोटियों से जुड़े ज्योतिषीय नियम
परिवार में झगड़ा कराती हैं बासी आटे की रोटियां
ज्योतिष के मुताबिक रोटियों का संबन्ध सूर्य और मंगल ग्रह से माना गया है क्योंकि रोटी हमारे शरीर को एनर्जी देने का काम करती है. लेकिन जब हम आटा फ्रिज में रखने के बाद उपयोग करते हैं तो ये बासी हो जाता है. बासी आटे का संबन्ध राहु से माना गया है. राहु मानसिक स्थिति को संतुलित नहीं रहने देता. ऐसे में जब इस आटे से बनी रोटियां घर के सदस्य खाते हैं, उनके अंदर भ्रम और झगड़े की प्रवृत्ति पैदा होती है, उनकी आवाज तेज हो जाती है, सहन शक्ति कम हो जाती है. निर्णय क्षमता प्रभावित होती है. ऐसे में कई बार वे गलत निर्णय ले लेते हैं. इससे घर में क्लेश और झगड़ा पैदा होता है. अगर आप वाकई घर में शांति चाहते हैं तो रोजाना ताजा आटा गूंथकर ही रोटी बनाएं.
वैज्ञानिक कारण भी समझें
अगर बासी आटे के नुकसान का वैज्ञानिक पक्ष देखें तो बासी आटे में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो हमारे शरीर को एनर्जी नहीं देते, बल्कि सुस्त कर देते हैं और बीमार बनाते हैं. ऐसे में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इसका असर हमारी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है.
गिनकर न बनाएं रोटियां
आजकल लोगों के बीच गिनकर रोटियां बनाने का ट्रेंड चल गया है. लोगों का मानना है कि इससे बर्बादी नहीं होती है. लेकिन ज्योतिष की नजर से देखा जाए तो गिनकर रोटियां बनाना शुभ नहीं माना जाता. इससे परिवार की बरकत पर असर पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार हर किसी को अपने परिवार की जरूरत के अनुसार जितनी रोटियां बनानी हैं, उससे 4 या 5 रोटियां ज्यादा बनानी चाहिए. पहले के समय में कई बार घर में मेहमान अचानक से आ जाते थे, ऐसे में उन्हें भूखा नहीं रहना पड़ता था. आज के समय में बेशक मेहमानों का ये चलन कम हो गया है, लेकिन फिर भी बरकत के लिए कम से कम दो रोटी ज्यादा बनवाएं. अगले दिन इन्हें जानवरों और पक्षियों को खिला दें.
पहली गाय की और आखिरी रोटी कुत्ते की बनाएं
सनातन धर्म में गाय को पूज्यनीय माना गया है. माना जाता है कि गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए पहली रोटी गाय के लिए बनानी चाहिए. गाय के लिए बनाई रोटी के जरिए आप सभी देवी देवताओं को भोजन दे देते हैं. वहीं आखिरी रोटी कुत्ते की बनानी चाहिए. दोनों रोटियों को किसी अलग स्थान पर रख दें और जब भी गाय व कुत्ता दिखे तो उन्हें खिला दें. इससे परिवार में देवी देवताओं का आशीष बना रहता है और घर में किसी चीज की कमी नहीं होती.

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