पितृ पक्ष 29 सितंबर से....पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म व पिंडदान का बहुत महत्व
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पितरों की शांति व तृप्ति के लिए पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और पिंडदान किए जाने की परंपरा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होते हैं और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 14 अक्टूबर तक रहेंगे। पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा श्राद्ध हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है।
श्राद्ध कर्म 2023 के शुभ मुहूर्त-
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।
कुतुप मूहूर्त - 11:47 एएम से 12:35 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:23 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
अपराह्न काल - 01:23 पी एम से 03:46 पी एम
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि कब से कब तक है:
प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होगी और 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को मनाई जाएगी।
पिंडदान कौन कर सकता है- ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि पितरों और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए सबसे बड़ा पुत्र अपने पिता और अपने वंशज का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करता है। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए बेटों का पिंडदान करना जरूरी माना गया है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं है तो ऐसे में परिवार पुत्री, पत्नी और बहू श्राद्ध और पिंड दान कर सकती हैं।
-9406363514
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