अश्वत्थामा पर्वत जहां हुआ कलिंग युद्ध
अश्वत्थामा पर्वत भुवनेश्वर (ओडि़शा) के पास स्थित है। इसे अब धवलागिरि की पहाड़ी नाम से भी जाना जाता है। अश्वत्थामा पर्वत में मौर्य सम्राट अशोक का एक अभिलेख उत्कीर्ण है। कहते हैं कि इतिहास-प्रसिद्ध कलिंग युद्ध जिसने अशोक के हृदय को बदल दिया था, इसी स्थान पर हुआ था। पर्वत पर पहले अश्वत्थामा विहार स्थित था।
अश्वत्थामा का उल्लेख महाभारत काल में मिलता है। अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था। महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने अपने मित्र दुर्योधन का साथ दिया। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या में माहिर था। महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों से बदला लेने के लिए रात्रि में सोये हुए पांडवों के बचे हुए वीर महारथियों को मार डाला। केवल यही नहीं, उसने पांडवों के पांचों पुत्रों के सिर भी काट डाले। भगवान कृष्ण के श्राप के कारण अश्वत्थामा को कोढ़ रोग हो गया। अर्जुन ने अश्वत्थामा को मारने का बीड़ा उठाया । लेकिन द्रोपदी ने अर्जुन को अश्वत्थामा की हत्या करने से यह कहकर रोक दिया कि शास्त्रों के अनुसार पतित ब्राह्मण का वध भी पाप है और आततायी को दण्ड न देना भी पाप है। अत: तुम वही करो जो उचित है। उनकी बात को समझ कर अर्जुन ने अपनी तलवार से अश्वत्थामा के सिर के केश काट डाले और उसके मस्तक की मणि निकाल ली। मणि निकल जाने से वह श्रीहीन हो गया। श्रीहीन तो वह उसी क्षण हो गया था जब उसने बालकों की हत्या की थी किन्तु केश मुंड जाने और मणि निकल जाने से वह और भी श्रीहीन हो गया और उसका सिर झुक गया। अर्जुन ने उसे उसी अपमानित अवस्था में शिविर से बाहर निकाल दिया। मान्यता है कि अश्वत्थामा को अमरत्व का वरदान प्राप्त था और आज भी वह जीवित है।
०------
Leave A Comment