पुराणों में हैं कितने श्लोक
पुराण, वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण कहा जा सकता है। इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है। इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्जवल बना सकता है। अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है ।
कुल 18 पुराण हैं। ये इस प्रकार हैं-
* विष्णु पुराण- 1. विष्णु पुराण, 2. मत्स्य पुराण, 3. भागवत पुराण ,4. गरुड़ पुराण, 5. कूर्म पुराण, 6. वाराह पुराण।
* शिव पुराण- 1. स्कन्द पुराण, 2. वायु पुराण, 3. अग्नि पुराण ,4. लिङ्ग पुराण, 5. नारद पुराण, 6. पद्म पुराण।
* ब्रह्मा पुराण- 1. ब्रह्मï पुराण, 2. ब्रह्मïााण्ड पुराण, 3. ब्रह्मï वैवर्त पुराण, 4. मार्कण्डेय पुराण, 5. भविष्य पुराण, 6. वामन पुराण।
श्लोक संख्या
1. ब्रह्मïपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं।
2. पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं।
3. विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं।
4. शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
5. श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
6. नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं।
7. मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं।
8. अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं।
9. भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं।
10. ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
11. लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं।
12. वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
13. स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं।
14. वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं।
15. कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं।
16. मत्स्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं।
17. गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं।
18. ब्रह्मांड पुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं।
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