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  1.1 करोड़ साल पुराना कछुआ मिला !
पुरातत्वविज्ञानी अपनी खोजों से हमारी प्राचीन सभ्यता और जीवन की बहुत सी जानकारियां देते हैं। जर्मन शहर हैम्बर्ग के नजदीक हुई खुदाई में एक आदिजीव के अवशेष मिले हैं। यह अवशेष 1.1 करोड़ साल पुराना है और समुद्री कछुए का है।
 जर्मनी के उत्तर में स्थित हैम्बर्ग शहर के पास स्थित ग्रोसल पाम्पाउ में जब रिसर्चरों की टीम खुदाई कर रही थी तो उन्हें कुछ कुछ अंदाजा जरूर था कि उनके हाथ क्या आने वाला है।  ये इलाका अपने पुरातात्विक अवशेषों के लिए जाना जाता है।  इस बार जब उन्होंने खुदाई पूरी की तो उन्हें विशालकाय समुद्री कछुए के सैकड़ों टुकड़े और हड्डियां मिलीं।  खुदाई करने वाली टीम के प्रमुख गेरहार्ड होएफनर का कहना है कि हड्डियां संभवत: कम से कम दो मीटर लंबे कछुए की हैं। 
 समुद्री कछुए के अवशेष उस जगह से मिले हैं जहां खुदाई करने वाली टीम ने कई हफ्तों तक बहुत बारीकी से खुदाई की, मिट्टी को हटाया और अवशेषों को बाहर निकाला ताकि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे।  अब इन अवशेषों को जर्मनी के उत्तरी प्रांत श्लेसविष होलश्टाइन के लुइबेक शहर के प्राकृतिक संग्रहालय में लोगों के देखने के लिए रखा जाएगा।  खुदाई करने वाली टीम ने समुद्री कछुए के अवशेषों के अलावा एक छोटे कछुए की हड्डियां, कोरल, एक समुद्री मछली के कांटे, एक डॉल्फिन की खोपड़ी और समुद्री काक की हड्डियां भी पेश कीं। 
 ये सारे अवशेष जमीन के अंदर आठ से 20 मीटर की गहराई में मिले हैं. खुदाई टीम के प्रमुख गेरहार्ड होएफनर का कहना है कि जमीन के भीतर मिले सारे अवशेष प्राचीन काल के उत्तरी सागर की जैव विविधता को दिखाते हैं।  उनका कहना है कि खासकर जीवाश्म बन चुके प्राचीन कछुए के अवशेषों का मिलना विरले ही होता है क्योंकि मृत जीवों के अवशेषों को अक्सर शिकारी मछलियां खा जाती हैं और उनका सख्त कवछ पानी में गल जाता है।  सन 1989 में वहां एक गड्ढे में रिसर्चरों को व्हेल की एक अतिप्राचीन प्रजाति के अवशेष मिले थे, जिसे अब उस जगह के नाम से प्रेमेगाप्टेरा पाम्पाउएनसिस कहा जाता है।  उसके बाद से व्हेल के ग्यारह और कंकाल मिले हैं। 
 ग्रोस पाम्पाउ श्लेषविस होलश्टाइन प्रांत के लाउएनबुर्ग जिले में स्थित है और ये इलाका जीवाश्म वैज्ञानिकों में काफी लोकप्रिय है।  वहां पिछले 30 सालों से अक्सर व्हेल, सील और दूसरे समुद्री जीवों के लाखों साल पुराने अवशेष मिलते रहे हैं।  विशेषज्ञ इसकी वजह एक भौगोलिक खासियत को बताते हैं।  यहां प्राचीन उत्तरी सागर का समुद्री तल धरती के कुछ ही मीटर नीचे दबा है।  उत्तरी जर्मनी का बड़ा हिस्सा उन दिनों उत्तरी सागर का हिस्सा था।  अब समुद्र इस इलाके से 140 किलोमीटर दूर है। 
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