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 'महज' 12 अरब सालों तक ही चमकेगा सूरज.....
 खुली आंखों से हम आसमान में छह हजार तक सितारे दिख सकते हैं। वे हमें छोटे छोटे बिंदुओं जैसे दिखते हैं क्योंकि वे हमसे बेहद दूर हैं। सितारे असल में विशाल खगोलीय पिंड होते हैं जो गर्म और विद्युत आवेशित गैसों से बनते हैं। इनके अंदर इतनी गर्मी और दबाव होता है कि हाइड्रोजन जैसे हल्के एटमी तत्व हीलियम जैसे भारी तत्वों से टकराते रहते हैं। इनके अंदर होने वाले न्यूक्लियर फ्यूजन से ही सितारे चमकते हैं। और एक ऐसा सितारा जो दिन भर हमारे सामने चमकता रहता है, वह है सूरज,   क्योंकि वो हमारे काफी करीब है, इसलिए इसका वैज्ञानिक विस्तार से अध्ययन कर पा रहे हैं। पृथ्वी की तुलना में सूरज बहुत विशाल है, लेकिन बाकी सितारों की तुलना में यह बहुत छोटा है।
 खगोलगविदों ने सितारों को उनकी चमक और रोशनी के रंग के हिसाब से विभिन्न समूहों में बांटा है। ज्यादातर सितारे मेन स्ट्रीम यानी मुख्य क्रम का हिस्सा हैं। मध्य में हमारा सूरज है। इस तरह, वह एक सामान्य सितारा है। लाल छोटे सितारे सबसे छोटे समूह में शामिल हैं,  चूंकि इनमें मौजूद हाइड्रोजन धीरे धीरे जलती है, इसलिए उनकी उम्र खरबों साल तक हो सकती है। इसके विपरीत, हमारा सूरज महज 12 अरब सालों तक ही चमक सकेगा।
 अब तक खोजा गया जो सबसे भारी सितारा है सूरज से 260 गुना भारी और एक करोड़ गुना ज्यादा चमकदार है। जब इसका सारा ईंधन जल जाएगा तो हो सकता है कि वह सुपरनोवा की तरह यह खत्म हो जाएगा। या फिर ब्लैक होल भी बन सकता है। उससे निकलने वाले परमाणु तत्व अंतरिक्ष में फैल जाएंगे।  माना जाता है कि ग्रहों और जीवित प्राणियों को बनाने वाली सामग्री, जैसे कि हमारे खून में मौजूद आयरन भी सितारों से ही दुनिया में आया है। सूरज की रोशनी और गर्मी के बिना हमारी धरती एक मुर्दाघर होती। सूरज हमें जिंदगी देता है और हमारी आंखों को सुकून भी। सैटेलाइट से मिली तस्वीरें बताती हैं कि सूरज किस कदर उबल रहा है। यह विद्युत आवेशित तत्वों के बादल अंतरिक्ष में फेंकता रहता है। ये सौर तूफान हमारी धरती तक भी आते हैं। पोलर लाइट्स इन्हीं का नतीजा हैं। सूरज के कण संवेदनशील तकनीक और जीवित प्राणियों के लिए खतरा भी बन सकते हैं।  बड़ी बड़ी दूरबीनों से वैज्ञानिक सुदूर सितारों के चुंबकीय क्षेत्रों पर रिसर्च कर रहे हैं। इन चुंबकीय क्षेत्रों और उनसे जुड़ी जानकारी से सितारों के आसपास की परिस्थितियों को बेहतर रूप से समझने में मदद मिलती है। इससे यह भी पता चलेगा कि क्या कहीं दूर इंसानों के रहने लायक पृथ्वी जैसा कोई दूसरा ग्रह भी है। (रिपोर्ट: कॉर्नेलिया बोरमन/आईबी)

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